(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। विक्रम संवत 2073 (भारतीय नववर्ष) के आगमन को लेकर शहर में उत्साह और उमंग का वातावरण बना हुआ है। युवाओं की टोलियों के द्वारा शहर को दुल्हन की तरह सजाने की तैयारियां आरंभ कर दी गयी हैं। जगह – जगह झण्डे और तोरनों से शहर को सजाने का काम आरंभ कर दिया गया है।
गुड़ी पड़वा के दिन ही चैत्र नवरात्र भी आरंभ हो रही है। शहर के देवालयों के पहुँच मार्गों पर केसरिया ध्वज और तोरनों को सजाने का काम युवाओं की टोलियों द्वारा किया जा रहा है। इसके साथ ही साथ देवी मंदिरों में भी जवारे रोपने और ज्योति कलश स्थापित किये जाने की तैयारियां भी अंतिम रूप में पहुँच रही हैं।
ज्ञातव्य है कि हिन्दु नव वर्ष का शुभारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होता है। चैत्र महीने के पहले दिन नये साल की शुरूआत के रूप में गुड़ी पड़वा मनाते हैं। इस दिन एक डण्डे में पीतल का बर्तन उलटकर रखते हैं जिस पर सुबह की पहली किरण पड़ती है। इसे गहरे रंग की रेशम की साड़ी व फूलों की माला से सजाया जाता है। इसे आम के पत्ते और नारियल से घर के बाहर उत्तोलक के रूप में टांगा जाता है।
यह वसंत ऋतु की बिदाई के साथ ही ग्रीष्म ऋतु के आगमन का प्रतीक होता है। यह अंग्रेजी माह मार्च अप्रैल के महीने में आता है। महाराष्ट्रियन्स के लिये गुड़ी पड़वा एक पवित्र दिन होता है। इस दिन को विवाह, गृह प्रवेश या नये व्यापार के उद्घाटन के लिये शुभ माना जाता है। इस दिन सोना, चाँदी या संपत्ति खरीदी जाती है।
इस साल अप्रैल की छः तारीख के दिन गुड़ी पड़वा मनाया जायेगा। सूर्य जब अपने पूरे चरम पर होता है और किरणों के तेज से गर्मी इतनी बढ़ जाती है जैसे कि वह जाड़े को अपनी गर्मी से समाप्त कर देगी। यही वह समय होता है, जब किसान की फसल कटने के लिये पककर तैयार हो जाती है।
ग्रामीण अंचलों में हवा में आम और कटहल की महक घुलने लगती है, पेड़ों पर बहार आ जाती है और उसकी महक पूरे वातावरण में हवा की तरह फैल जाती है। गहरे रंग और गंध की धूम वसंत के आगमन के समय का संकेत करती है और मौसम अपनी पूरी संपदा प्रदान कर देता है।