प्रेम नगर में गूंजी लाचारों की सिसकियां

(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। मुझे यहाँ पर 10-12 गाँवों से आये स्त्री पुरूषों ने अपनी दर्दनाक जिंदगी का सच बताया कि वे साल के अधिकांश दिनों में अपने घर – परिवार को छोड़कर नागपुर, जबलपुर, रायपुर, भोपाल दिल्ली यहाँ तक कि पंजाब और कर्नाटक तक मजदूरी करने जाते हैं।
उक्ताशय की बात सोमवार 22 अप्रैल को भोमा के समीपस्थ ग्राम प्रेम नगर में आयोजित बाबा साहब डॉ.अंबेडकर जयंति समारोह में कार्यक्रम अध्यक्ष की हैसियत से पहुँचे रविदास शिक्षा मिशन के संरक्षक डॉ.एल.के. देशभरतार को कार्यक्रम में शामिल होने आये लाचारों ने बताया।
रघुवीर अहरवाल द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस दौरान लाचार लोगों ने बताया कि मध्य प्रदेश के अधिकांश गरीब महिलाएं और पुरूष ईमारत, बाँध, सड़क निर्माण से लेकर खन्ती खोदने, पत्थर तोड़ने, केबल लाईन बिछाने, छोटी बड़ी मशीनों को उठाने, उतारने जैसे काम करते हैं। उनके साथ दुर्व्यवहार और शोषण होना आम बात है।
विज्ञप्ति के अनुसार कुछ महिलाओं ने सिसकते हुए बताया कि वे अपने घर परिवार में बुजुर्ग और किशोर उम्र के बच्चों को छोड़कर आते हैं। कई बार बीमारी आदि के कारण बुरी हालत होती है तो न बुजुर्गों की सेवा हो पाती, न ही बच्चे ठीक से पढ़ पाते हैं। इन लोगों ने एक बात जोर देकर बताया कि मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में जो भी मजदूर हैं उनमें 99 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के होते हैं, जो दो जून की रोटी के लिये मारे – मारे फिरते हैं।
उसके उपरांत कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ.अंबेडकर के छायाचित्र पर पुष्पहार अर्पित करने के साथ प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम के विशेष अतिथि वयोवृद्ध समाजसेवी बी.एल. कुमरे ने बिखरे हुए गरीबों को संगठित होकर संघर्ष करने का रास्ता बताया। इसी कड़ी में विशेष अतिथि के.एल. भलावी ने कहा कि देश की अधिकांश आबादी बेरोजगारी, गरीबी, बुखमरी, अशिक्षा और अन्याय अत्याचार से पीड़ित है। देश के नेता इनकी लाचारी को दूर नहीं करना चाहते हैं, वे अपनी सत्ता का ठसन दिखाते हैं। युवा समाजसेवी रवि मेश्राम ने कहा कि आज देश का संचालन बाबा साहब डॉ.अंबेडकर के संविधान के अनुसार नहीं बल्कि पोंगा पंथियों के हिसाब से हो रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रविदास शिक्षा मिशन के संरक्षक डॉ.एल.के. देशभरतार ने कहा कि बाबा साहब डॉ.अंबेडकर ने दबे कुचले वर्ग को अपने उद्धार के लिये शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करने का मंत्र दिया था, लेकिन देश के सत्ताधारी नेताओं ने दबे कुचले वर्ग से शिक्षा का अधिकार छीन लिया। इन वर्गों में हजारों संगठन पैदा कर दिये, ताकि ये लोग संगठित होकर संघर्ष न कर सकें। इस बात को बिखरे हुए नेताओं को समझना चाहिये। कार्यक्रम को एड.सुनील वासनिक, उमाकांत बंदेवार, मुन्ना लाल चौधरी, जितेन्द्र कोसरे, गुलाब चंद कोटांगले और शैलेन्द्र कोसरे आदि ने भी संबोधित किया।

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