बालाघाट के दो क्षत्रपों के झण्डे तले पहुँच गये स्थानीय की माँग करने वाले नेता!
(पॉलिटिकल ब्यूरो)
सिवनी (साई)। लोकसभा चुनावों की रणभेरी बजने के बाद भाजपा के जिले के अग्रिम पंक्ति के नेता गुटों में बंटे दिख रहे हैं। स्थानीय या मूल भाजपाई का नारा बुलंद करने वाले इन नेताओं की इस कवायद में सबसे मजे की बात तो यह है कि इन गुटों का नेत्तृत्व स्थानीय कोई नेता करने में सक्षम नहीं दिख रहा है।
भाजपा के अंदरखाने से छन-छन कर बाहर आ रहीं खबरों पर अगर यकीन किया जाये तो भाजपा के उमर दराज हो चुके नेताओं को अब यह भय सता रहा है कि लोक सभा चुनावों के बाद उन्हें मार्गदर्शक मण्डल में न बैठा दिया जाये। इसका कारण यह है कि 2023 के विधान सभा चुनावों तक इन्हें अपना अस्तित्व बचाये रखने के लिये किसी दुधारू पद की आवश्यकता होगी।
चर्चाओं के अनुसार इन नेताओं में अधिकांश वे ही नेता हैं जिन्होंने पिछले साल विधान सभा चुनावों के पहले मेडिकल कॉलेज के भूमि पूजन में सिवनी शहर में रहते हुए भी तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अघोषित किन्तु पुरजोर विरोध करते हुए इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।
चर्चाओं के अनुसार विधान सभा चुनावों के टिकिट बंटवारे में इन नेताओं के द्वारा पूरा जोर लगाने के बाद भी भाजपा ने निर्दलीय विधायक रहे दिनेश राय को ही सिवनी से मैदान में उतारा और इन नेताओं की लाख कोशिशों के बाद भी दिनेश राय के द्वारा चुनाव में परचम लहराकर इन नेताओं को जमीन दिखा दी गयी थी।
वहीं, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि लोकसभा चुनावों में बालाघाट संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवारी की आस लगाने वाले नेताओं ने सिवनी के स्थानीय प्रत्याशी की माँग को दबी जुबान से बुलंद भी किया था।
उक्त नेता का कहना था कि पार्टी आलाकमान के पास सारी जानकारी पहले से ही भेज दी गयी थी, जिसमें कुछ दल विशेष के क्षत्रपों के इशारे पर परिसीमन और पुर्न आरक्षण के दौरान सिवनी लोक सभा सीट के विलोपन का प्रस्ताव न होने पर भी सिवनी की लोकसभा सीट का विलोपन कर दिया गया था और ये नेता मौन साधे बैठे रहे थे।
उक्त नेता ने कहा कि हाल ही में ये नेता स्थानीय का मुद्दा लेकर प्रदेश की राजनैतिक राजधानी भोपाल का चक्कर भी लगा आये हैं। इसके बाद इनमें आपस की एकता में दरार पड़ने के चलते ये दो गुटों में बंट गये हैं। इन दोनों गुटों का नेत्तृत्व सिवनी की बजाय बालाघाट के दो धुरंधर नेता कर रहे हैं।
उक्त नेता ने कहा कि भाजपा के नेताओं के द्वारा मूल और स्थानीय का मुद्दा तो उठाया गया किन्तु जब इस मामले में आलाकमान से भेंट कर नेत्तृत्व करने की बात आयी तो इनमें से अधिकांश ने अपनी – अपनी सुविधा के हिसाब से बालाघाट जिले के दो क्षत्रपों के झण्डे तले अपने आप को खड़ा कर लिया है। उक्त नेता का कहना था कि इनके पास मुद्दा तो स्थानीय और मूल का है पर नेत्तृत्व के लिये जनाधार वाला कोई सशक्त नेता नहीं है!

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