0 कॉपी-किताब, गणवेश में लुटेंगे . . . 2
स्कूलों के वार्षिक समारोहों तक का भोगमान उठाते हैं पुस्तक विक्रेता!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। अनेक प्रकाशक निजि स्कूलों में अपनी कॉपी किताबों को सिलेबस (पाठ्यक्रम) में शामिल करवाने के लिये शाला संचालकों को महंगे उपहार तो देते ही हैं, इसके साथ ही साथ उनके द्वारा शाला के अनेक कार्यक्रमों यहाँ तक कि सोशल गेदरिंग (वार्षिक समारोहों) का भोगमान (खर्च) उठाया जाता है। कुल मिलाकर पालकों की चारों ओर से मरण ही होती है।
एक प्रकाशन के एजेंट ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रकाशकों के द्वारा शाला संचालकों और स्थानीय कॉपी – किताब विक्रेताओं के बीच होने वाली सांठगांठ के चलते इन खर्चों को उठाने के बाद पुस्तक विक्रेताओं को चालीस से पचास फीसदी कमीशन पृथक से दिया जाता है।
उक्त एजेंट का कहना था कि कई बार तो प्रकाशकों को शाला संचालकों के ग्रीष्म कालीन अवकाश के टूर पैकेजेस की व्यवस्था भी करना होता है। इसके अलावा आईफोन, लेपटॉप, टेबलेट जैसे उपहार देना आम बात है। उक्त एजेंट ने यह भी कहा कि कुछ शालाओं में तो अपने प्रकाशन को चालू करवाने के लिये प्रकाशकों को उपहारों के साथ ही साथ शाला के वार्षिक समारोहों का व्यय भी उठाना पड़ता है।
इसके साथ ही उक्त एजेंट ने यह भी कहा कि गणवेश के लिये निर्धारित दुकानों के संचालकों को शाला प्रबंधन के आगे चिरौरी करना होता है। उन्होंने कहा कि गणवेश निर्धारित दुकानों से ही लेने के लिये शाला संचालकों द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर इसलिये भी बाध्य किया जाता है क्योंकि उसके एवज में गणवेश विक्रेता के द्वारा शाला के स्टॉफ के लिये महंगे ब्लेजर्स और शाला संचालकों को आकर्षक उपहार भी मुहैया कराने होते हैं।
कई गुना है अंतर : उक्त एजेंट की मानें तो केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से एफीलेटेड शालाओं में एनसीईआरटी (नेशनल काऊंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग सेंटर) का पाठ्यक्रम और किताबें प्रचलन में होती हैं। एनसीईआरटी की किताबें अपेक्षाकृत बेहद सस्ती होती हैं पर निजि प्रकाशकों की किताबें इनसे छः से आठ गुना महंगी होती हैं। प्रशासन की कथित उदासीनता के चलते निजि शालाओं में एनसीईआरटी की बजाय निजि प्रकाशकों की किताबें प्रचलन में लायी जाती हैं।

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