कल्याणपुर शाला में सुविधाओं का अभाव

 

(ब्यूरो कार्यालय)

बरघाट (साई)। शिक्षा और शिक्षक समाज के दर्पण है शिक्षक चाहे तो विद्यार्थियों में उनकी योग्यता के अनुसार शिक्षा देकर उन्हें देश के विकास में अवसर प्रदान कर सकता है। इसलिये शिक्षक को गुरू की उपमा भी दी गई है जिसके जीवन में गुरू नही उसका जीवन शुरू नही ऐसी ही भावना को लेकर शासकीय हाईस्कूल कल्याणपुर में प्राचार्य जे.एन.उईके द्वारा प्रयास किये जा रहे है।

जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलो मीटर दूर बरघाट विकास खंड में बच्चों के संर्वागीण विकास के लिए प्रयासरत है। श्री उईके का मानना है कि शासन की मंशा है कि एक शाला एक परिसर के माध्यम से शिक्षकों में बड़े-छोटे का मतभेद को दूर करके उनकी योग्यता को विद्यार्थियों के हित मेें अधिक से अधिक उपयोग किया जाये, इसके लिए उनका पूरा स्टॉफ प्रयत्नशील है।

उन्होंने कहा कि बच्चे यहां पर आने के बाद अपने आपको तनावमुक्त महसूस करते है और इस शाला का परिसर तो बहुत बड़ा है, लेकिन यहां पर प्राकृतिक आभा का अभाव है। उन्होंने कहा कि इसका कारण शाला में अधूरी बनी हुई चार दीवारी है जिसके चलते यहां पर वृक्षारोपण के उपरांत जानवरों से सुरक्षित रख पाना मुश्किल है।

इसी तरह क्षेत्र में सांस्कृतिक साहित्यिक गतिविधियों की संभावना है लेकिन शाला में इन प्रतिभाओं के प्रदर्शन के लिए मंच नही है। अगर जनप्रतिनिधी, सांसद, विधायक रूची लेते है और शाला में मंच बनवाया जाता है तो यहां की प्रतिभायें ना केवल जिले में बल्कि देश, प्रदेश में इस शाला का नाम रोशन कर सकती है।

इसके अतिरिक्त शाला में अध्यापन के प्रति भी रूची देखी जा रही है। प्रतिवर्ष इस शाला के परिणाम में निरंतर वृद्धि हो रही है। और यहां पर आवश्यकतानुरूप साधन के रूप में प्रयोगशाला एवं पुस्तकालय की व्यवस्था की जाती है तो निश्चित ही यह शाला अग्रणी शाला के के रूप में एक शाला एक परिसर की बात को चरितार्थ करेगी।