(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। देवी महागौरी आपको भौतिक जगत में प्रगति के लिये आशीर्वाद और मनोकामना पूर्ण करती हैं, ताकि आप संतुष्ट होकर अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ें।
माँ सिद्धिदात्री आपको जीवन में अद्भुत सिद्धि, क्षमता प्रदान करती हैं ताकि आप सबकुछ पूर्णता के साथ कर सकें। सिद्धि का क्या अर्थ है? सिद्धि, संपूर्णता का अर्थ है.. विचार आने से पूर्व ही काम का हो जाना। आपके विचारमात्र, से ही, बिना किसी कार्य किये आपकी इच्छा का पूर्ण हो जाना यही सिद्धि है।
आपके वचन सत्य हो जायें और सबकी भलाई के लिये हों। आप किसी भी कार्य को करें वो संपूर्ण हो जाये – यही सिद्धि है। सिद्धि आपके जीवन के हर स्तर में संपूर्णता प्रदान करती है। यही देवी सिद्धिदात्री की महत्ता है।
क्यों हैं माँ दुर्गा के नौ रूप : यह भौतिक नहीं, बल्कि लोक से परे आलौकिक रूप है, सूक्ष्म तरह से, सूक्ष्म रूप। इसकी अनुभूति के लिये पहला कदम ध्यान में बैठना है। ध्यान में आप ब्रह्माण्ड को अनुभव करते हैं। इसीलिये बुद्ध ने कहा है, आप बस देवियों के विषय में बात ही करते हैं, जरा बैठिये और ध्यान करिये। ईश्वर के विषय में न सोचिये। शून्यता में जाईये, अपने भीतर। एक बार आप वहाँ पहुँच गये, तो अगला कदम वो है, जहाँ आपको विभिन्न मन्त्र, विभिन्न शक्तियाँ दिखायी देंगी, वो सभी जागृत होंगी।
बौद्ध मत में भी, वे इन सभी देवियों का पूजन करते हैं। इसलिये, यदि आप ध्यान कर रहे हैं, तो सभी यज्ञ, सभी पूजन अधिक प्रभावी हो जायेंगे, नहीं तो उनका इतना प्रभाव नहीं होगा। यह ऐसे ही है, जैसे कि आप नल तो खोलते हैं, परन्तु गिलास कहीं और रखते हैं, नल के नीचे नहीं। पानी तो आता है, पर आपका गिलास खाली ही रह जाता है, या फिर आप अपने गिलास को उलटा पकड़े रहते हैं। 10 मिनिट के बाद भी आप इसे हटायेंगे, तो इसमें पानी नहीं होगा क्योंकि आपने इसे ठीक प्रकार से नहीं पकड़ा है।
सभी पूजन ध्यान के साथ आरंभ होते हैं और हजारों वर्षों से इसी विधि का प्रयोग किया जाता है। ऐसा पवित्र आत्मा के सभी विविध तत्वों को जागृत करने के लिये, उनका आह्वाहन करने के लिये किया जाता था। हमारे भीतर एक आत्मा है। उस आत्मा की कई विविधताएं हैं, जिनके कई नाम, कई सूक्ष्म रूप हैं और नवरात्रि इन्हीं सब से जुड़े हैं : इन सब तत्वों का इस धरती पर आवाहन, जागरण और पूजन करना। (उक्त जानकारी इंटरनेट पर नवदुर्गा के संबंध में प्रसारित की गयी है)