(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। जिला काँग्रेस प्रवक्ता राजिक अकील खान द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में जिला काँग्रेस अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने कहा है कि आज राष्ट्रवाद और देश प्रेम की बात करने वाली भाजपा के लोग उस समय कहाँ थे, जब देश के लोग गरीबी और आभाव में भूखे, नंगे और निहत्थे ही रहकर साधनों के अभाव में काँग्रेस के नेत्तृत्व में आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे!
विज्ञप्ति के अनुसार आज बिना प्रचार – प्रसार साधनों के छोटा सा आयोजन भी भारी पड़ने लगा है। मोबाईल का नेटवर्क न मिलने से आदमी परेशान हो जाता है। उस समय इतने विशाल देश को आज़ादी की लड़ाई में एक साथ जोडे रखना बड़ा मुश्किल काम था।
पप्पू खुराना ने आगे कहा कि विभिन्न जाति धर्म क्षेत्र में बंटे लोगांे में काँग्रेस ने भारत देश को आज़ाद करने का जुनून पैदा किया। आज वातानुकूलित कमरे, गाड़ियां, बड़ी – बड़ी सुरक्षा एजेंसियों के बीच इलेक्ट्रिक साधनांे से लैस होकर राष्ट्रवाद की बात करना और किसी घटना पर प्रश्न करने वाले को देश द्रोही कहना हास्यास्पद लगता है।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे कि छद्म देश भक्ति बताने वाले लोग, देश की आज़ादी में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके परिवारों का मजाक उड़ा रहे हैं जिन्होंने देश की आज़ादी के लिये अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। इनकी देश भक्ति और राष्ट्रवाद के सामने कोई टिक नहीं सकता क्योंकि उस समय देश के रणबांकुरांे ने अंहिसा के रास्ते पर चलकर बिना किसी संसाधनों के स्वतंत्रता आंदोलन को चलाया होगा ये तो वही जानते होंगे, आज विकासशील देश की गद्दी पर बैठकर स्वयं तथा अपने अनुयायियों से, पूर्व में देश को आज़ादी दिलाने से लेकर एक विकासशील देश की श्रेणी में लाकर खड़ा करने वालों को कोसना क्या ओछी मानसिकता का परिचायक नहीं है।
जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने आगे कहा कि उस समय की परिस्थिति में जो उचित और संभव था लोगों ने अपना सब कुछ समर्पित कर नेत्तृत्व किया। आज वह लोग देश की आज़ादी और देश को बेहतर स्थिति में खड़ा करने वाले लोगांे के खिलाफ टीका टिप्पणी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इतिहास ग्वाह है कि ऐसी विचार धारा वाले लोग आज़ादी के समय अंग्रेजांे के साथ थे, उस समय जब अंग्रेजों के खिलाफ बोलना देश द्रोह कहलाता था। आज देश की सत्ता में बैठे लोगों ने ऐसी ही स्थिति निर्मित कर दी है कि यदि सरकार के गलत कामों के खिलाफ आवाज उठायी जाती है तो उन्हें देश द्रोही बताया जाता है। सरकार में बैठे लोगांे का ये कदम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिये खतरा बन सकता है।

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