(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। इस वर्ष छः अप्रैल से चैत्र नवरात्र पर्व आरंभ हो रहा है। इसी दिन से नववर्ष संवत्सर की शुरूआत होगी। जिले के माता मंदिरों में इस नवरात्रि के लिये तैयारियां आरंभ हो गयी हैं।
जिले में आठ सौ साल पुराने आष्टा के काली मंदिर सहित नगर के प्राचीन माता दिवाला मंदिर, काली चौक स्थित काली मंदिर, दुर्गा चौक स्थित माता राज राजेश्वरी मंदिर, बारा पत्थर स्थित सिंह वाहिनी मंदिर, मरहाई माता मंदिर, विंध्य वासिनी मंदिर, भैरोगंज स्थित महा माया मढ़िया, काली मंदिर, सिंधी कॉलोनी स्थित शिव शक्ति मंदिर, बड़ी पुलिस लाईन स्थित दुर्गा मंदिर, कटंगी रोड स्थित माता महाकाली मंदिर, मातृधाम स्थित दुर्गा मंदिर, गणेशगंज स्थित माता बाला भवानी मंदिर, बण्डोल स्थित योगमाया माँ कात्यायिनी मंदिर, बरघाट स्थित दुर्गा मंदिर में भी माता के पूजन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 06 अप्रैल को प्रतिपदा है। इसी दिन से देवी मंदिरों, शक्तिपीठों में नौ दिनों तक माता दुर्गा की पूजा – अर्चना का दौर आरंभ होगा।
कटंगी रोड स्थित माता महाकाली मंदिर के पुजारी दिलीप कुमार शुक्ला ने बताया कि कलश स्थापना चैत्र नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन सूर्याेदय के बाद अभिजीत मुहूर्त में करना श्रेयष्कर होता है। इस दिन यदि चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग हो तो वह दिन थोड़ा अच्छा नहीं माना जाता है। छः अप्रैल को वैधृति योग है लेकिन प्रतिपदा के कारण अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना कर लेना उचित है। इस दिन रेवती नक्षत्र है। नवरात्र पूजन का आरंभ मिथुन, धनु व मीन लग्न में ही प्रारंभ करना उचित है क्योंकि ये द्विस्वभाव राशियां हैं।
कलश स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त : आचार्य दिलीप कुमार शुक्ला के अनुसार चैत्र नवरात्र में घर में शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें। छः अप्रैल को दिन में 11 बजकर 58 मिनिट से 12 बजकर 49 मिनिट के बीच अभिजीत मुहूर्त है। इस समय कर्क लग्न है। यह चर राशि है। इसलिये कलश स्थापना का बहुत शुभ मुहूर्त नहीं माना जा सकता है। सुबह छः बजकर नौ मिनिट से 10 बजकर 21 मिनिट तक कलश स्थापना का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त है। इस समय द्विस्वभाव मीन लग्न रहेगा।
नवरात्रि की पूजा विधि : नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पूरे नवरात्रि दुर्गा सप्तशती व श्रीराम चरित मानस का पाठ करना चाहिये। इस समय ब्रह्म मुहूर्त में श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ बहुत शुभदायी है। इसका पाठ करने से दैहिक, दैविक व भौतिक तापों का नाश होता है। माता के किसी सिद्धपीठ का दर्शन कर आशीर्वाद लेना चाहिये। प्रतिदिन माता के मंदिर जाकर विधिवत दर्शन पूजन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। पूरे नवरात्र व्रत करके समाप्ति के दिन हवन करना चाहिये।