लाभ कमाने का अड्डा बने निजि स्कूल

 

 

न हवादार कमरे, न खेल मैदान, नहीं है शुद्ध पेयजल की व्यवस्था!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। जिले भर में कुकुरमुत्ते के मानिंद खुले निजि शिक्षण संस्थानों में न तो गुणवत्ता वाली शिक्षा का ध्यान रखा जा रहा है और न ही विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का। हालात देखकर लग रहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग की सरपरस्ती में चल रहे निजि शैक्षणिक संस्थान महज लाभ कमाने का अड्डा बनकर रह गये हैं।

जिला मुख्यालय में ही न जाने कितने निजि स्कूल नियम कायदों को बलाए ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। इसी तरह जनपद पंचायत केवलारी के अंतर्गत खैरा पलारी में कृष्णा पब्लिक स्कूल, सरस्वती ज्ञान मंदिर, संस्कार वैली स्कूल आदि वे शालायें हैं जहाँ शाला प्रबंधन की मनमानी चरम पर है। बताया जाता है कि जिले में निजि शैक्षणिक संस्थानों की जाँच में भी जमकर लीपापोती की जाती है।

जिले भर में निजि तौर पर संचालित होने वाली अनेक शालाओं में सरकारी नियम कायदों को बलाए ताक पर रखकर निजि भवन में छोटे – छोटे कमरों में बच्चों को बैठाया जाता है। बिजली न होने की दशा में शाला में न तो जनरेटर की व्यवस्थाएं हैं और न ही इंवर्टर की। इतना ही नहीं गर्मी के मौसम में छोटे – छोटे बाल गोपाल पानी के लिये तरसते देखे जा सकते हैं। जिले में अस्सी फीसदी शालाएं इस तरह के वातावरण में संचालित हो रही हैं जहाँ विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के लिये उचित माहौल नहीं है।

बार-बार प्रशासन स्तर पर जारी होने वाले नियमों के बाद भी इन शैक्षणिक संस्थाओं में गणवेश और कॉपी – किताबें खुले आम बेची जा रही हैं। गाँव से शाला में आने वाले विद्यार्थी वाहनों में भी क्षमता से अधिक बच्चे बैठाये जाते हैं। इन वाहनों में नंबर प्लेट और अन्य नियमों का अता पता भी नहीं है।

ज्ञातव्य है कि जिले भर में एक सैकड़ा से अधिक निजि शैक्षणिक संस्थान अस्तित्व में हैं। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार आला अधिकारी पता नहीं क्यों इन शैक्षणिक संस्थाओं की समय – समय पर जाँच से कतराते क्यों हैं? अगर इनके द्वारा जाँच की जाती है तो, यक्ष प्रश्न यही खड़ा है कि आखिर जाँच के बाद भी शालाओं में विसंगतियां जस की तस क्यों मिलती हैं?