दीपावली पर चायनीज चीजों को कहें बाय-बाय

 

 

(वाणिज्य ब्यूरो)

सिवनी (साई)। पुरानी और सटीक कहावत है, सस्ता रोये बार-बार, महंगा रोये एक बार। चीनी वस्तुओं के मामले में यह कहावत एकदम सच साबित हो रही है।

पुराने जानकार लोग बताते हैं, कि बड़े बुजुर्गों द्वारा इस तरह कहावतें अक्सर बातचीत में प्रयोग में लायी जाती थीं। उस वक्त मतलब कम समझ में आता था, बाज़ार में चायनीज सामान खरीदा तो समझ आया कि वाकई बड़े बुजुर्ग सही कहा करते थे। टेंट का काम करने वाले कारोबारियों का कहना है कि उन्होंने सीजन में सस्ती चायनीज लाईट खरीदी थी, सीजन के बाद उन्होंने जब खोलकर देखा तो पूरी लाईट ही खराब हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि उन्हें लगभग दस हजार का नुकसान हुआ, उसके बाद उन्होंने सस्ते चायनीज सामान से तौबा कर ली।

एक अन्य भुक्त भोगी ने बताया कि पहले हिन्दुस्तानी झालर खरीदते थे, तो कई बरस तक झिलमिल करते थे, तीज त्यौहार पर सिर्फ कुछ बल्ब चेक करने पड़ते हैं, जबकि चायनीज झालर इस साल खरीदो तो अगले साल तक भी नहीं चल पाती हैं। बच्चों के खिलौने की बात हो, लाईटिंग, झालर, मोबाईल, टॉर्च या अन्य वस्तुएं सभी का यही हाल है।

चायनीज उत्पादों की गारंटी दुकानदार भी नहीं देते हैं। दुकानदारों का कहना है कि चीनी उत्पादों की न तो गारंटी होती है और न ही वारंटी, इसलिये दुकानदार सामान चेक कर देते हैं। ग्राहक के पास जाने के बाद गारंटी खत्म हो जाती है। दुकानदारों का कहना है कि चले तो साल दो साल नहीं तो शाम तक भी नहीं चलते। बिजली समान के विक्रेताओं के अनुसार चायनीज झालर, लाईटिंग, लैंप सहित जो भी चीनी उत्पाद हैं, उसकी गारंटी नहीं आती है, हम चेक करके देते हैं।

एक अन्य उपभोक्ता ने बताया कि उन्होंने बच्चे के लिये बड़ी उम्मीद से दिल्ली से एक चायनीज हेलीकॉप्टर खरीदा था। एक सप्ताह तक बच्चा हेलीकॉप्टर उड़ाता रहा, फिर अचानक चाबी भरते हुए हेलीकॉप्टर की बैट्री बोल गयी। बच्चे का रो-रो कर बुरा हाल हो गया और उसके बाद उन्हें देशी खिलौने से ही बच्चे का मन बहलाना पड़ा।

अनेक मोबाईल विक्रेताओं ने भी चीन के रूख को देखते हुए अब चाईनीज सस्ते मोबाईल से तौबा कर ली है। उनका कहना है कि इसमें बैटरी फूलने के साथ बैकअप उड़ने और नेटवर्क प्रॉब्लम होती है। यह आरंभ में तो बहुत अच्छे दिखते हैं, लेकिन बाद में असलियत समझ आ जाती है। इसलिये ये मोबाईल रखना बंद कर दिया।