हवन, पूजन के साथ तिघरा में कथा का हुआ समापन
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। कर्म सिद्धांत के गूढ़ रहस्यों को कथा वाचक सुशीलानंद महाराज ने ग्राम तिघरा में श्रीमद भागवत कथा के समापन के दिन श्रद्धालुजनों को बताया।
उन्होंने बताया कि मनुष्य को ईश्वर ने कर्म करने की स्वतंत्रता दी है मगर पहले यह जाने कि कर्म कौन सा करना है, जिसमें हमारा कल्याण छुपा हो। अर्जुन को भगवान कृष्ण ने युद्ध के मैदान में धर्म युद्ध करने के लिये प्रेरित किया। भगवान कृष्ण द्वारा मात्र विचारों के ज्ञान से समझाने पर अर्जुन उसे मान तो लेता है, मगर अर्जुन के भीतर बदलाव नहीं आ पाता। अर्जुन के भीतर बदलाव तब आया जब भगवान कृष्ण एक सतगुरु के रूप में बनकर अर्जुन को शिष्य के रूप में स्वीकार हुए उसे आत्मज्ञान दिया। अपना योग स्वरूप का दर्शन कराया।
शनिवार को कथा के समापन अवसर पर सुबह से हवन, पूजा व आरती के साथ कथा को विश्राम दिया गया। इस अवसर पर शाम को भण्डार एवं प्रसाद वितरण हुआ जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामवासी व अन्य जिले से पहुँचे लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
प्रधान आचार्य पं.बंशीधर मिश्रा, पं.मुरलीधर मिश्रा, संजय तिवारी, अजीत धर्मवीर तिवारी, पं.रिंकू तिवारी, विजय तिवारी, मिथिलेश बघेल, यज्ञाचार्य पं.बंशीधर मिश्र, नारायण, पुरुषोत्तम मालवीय, नेपाल सिंह बघेल, अरुण बघेल खापा, खुमान सिंह बघेल, शिव नाथ सिंह बघेल, अर्जुन सिंह बघेल पूर्व सरपंच, राजपाल सिंह बघेल, महेन्द्र सिंह बघेल आदि ने कथा में अपना विशेष सहयोग दिया। श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के पूर्णाहुति एवं अनुष्ठान के साथ देवी जानकी का प्रथम पाटोत्सव प्राचीन श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर तिघरा में संपन्न हुआ।

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