गर्मी के पहले ही जल संकट की पदचाप!

 

 

साथ छोड़ने लगे पुराने बोर, जलस्तर तेजी से गिर रहा नीचे

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। बारिश और बादलों की रवानगी के साथ ही एक बार फिर गर्मी का अहसास पानी की खपत को बढ़ाता दिख रहा है। आलम यह है कि भूमिगत जलस्तर तेजी से गिरता जा रहा है और पुराने बोर अब साथ छोड़ते दिख रहे हैं। शहर के अनेक वार्ड पानी की किल्लत से जूझते दिख रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी नगर पालिका परिषद के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि नगर पालिका के द्वारा हर साल शहर में बोर कराये जा रहे हैं इस लिहाज से शहर में पालिका के नलकूपों की तादाद पाँच सौ से ज्यादा होना चाहिये। इनमें से कितने नलकूप चालू हालत में हैं, इस बारे में नगर पालिका को ज्यादा लेना देना प्रतीत नहीं हो रहा है।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा शासित नगर पालिका परिषद एक बार फिर नलकूप खनन की योजना बनाती दिख रही है। सूत्रों का कहना था कि नगर पालिका परिषद के द्वारा पिछले सालों में जो बोर कराये गये थे उनमें फुल केसिंग डाली गयी थी। फुल केसिंग का तात्पर्य होता है कि उस बोर की मिट्टी कभी भी धसक नहीं सकती है।

इसके साथ ही सूत्रों ने कहा कि इन बोर के देयक कितने फीट की गहरायी के अदा किये गये थे और आज वे कितने फीट गहरे हैं इसको आसानी से मापा जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि भाजपा शासित नगर पालिका परिषद में विपक्ष में बैठी काँग्रेस के द्वारा शायद ही कभी पालिका परिषद को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया गया हो।

सूत्रों का कहना था कि भाजपा शासित नगर पालिका परिषद में विपक्षी पार्षदों के काम जिस तेजी से होते हैं उससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्ष में बैठे पार्षद शायद ही कभी सत्ताधारी दल की परिषद का विरोध करें। सूत्रों ने कहा कि भाजपा के पार्षद ही अपनी परिषद में बुरी तरह उपेक्षित नजर आ रहे हैं।

इसी तरह सूत्रों का कहना था कि पालिका में जब कभी भी गलत नीतियों के विरोध के स्वर उठते हैं तो वे भाजपा के पार्षदों के ही उठते आये हैं। इसका प्रमाण भाजपा के पार्षदों के द्वारा समय – समय पर मुख्य नगर पालिका को दिये गये पत्रों से मिलता है। भाजपा के पार्षद ही अपनी परिषद को कटघरे में खड़ा करते दिखते हैं।

सूत्रों ने कहा कि भाजपा शासित नगर पालिका परिषद के कदम तालों से शहर की जनता अब भारतीय जनता पार्टी से विमुख होती नजर आ रही है। सूत्रों ने कहा कि नगर पालिका परिषद अगर चाहती तो शहर में जनहित के कामों को करवाकर, उसके द्वारा भाजपा के प्रति लोगों को आकर्षित किया जा सकता था।

बहरहाल शहर में पानी के संकट की पदचाप सुनी जा रही है। अभी मार्च माह का पहला पखवाड़ा चल रहा है और शहर में जल संकट दिखायी देने लगा है तो अप्रैल और मई के महीनों में जलसंकट किस स्तर पर पहुँचेगा, इसका आँकलन शायद ही नगर पालिका परिषद के द्वारा किया गया हो।

विवेकानंद वार्ड के निवासियों ने बताया कि उनके वार्ड में पानी का रोना साल भर बना रहता है। जिन क्षेत्रों में संजय निकुंज के नलकूप से पानी दिया जाता है उसका समय निश्चित नहीं है। कभी सुबह तो कभी दोपहर को पानी प्रदाय किया जाता है। लोगों को दिन भर अपने जरूरी काम छोड़कर दिन भर नलों को ताकने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

नागरिकों का कहना था कि इस समस्या के संबंध में उनके द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी, जलकार्य समिति के सभापति और जलकार्य विभाग के प्रभारियों को अवगत करा दिया गया है फिर भी समस्या जस की तस ही बनी हुई है। इसी तरह अशोक वार्ड में आने वाले नलों को देखकर यही प्रतीत होता है मानो एक बाल्टी को भरने में घण्टे भर का समय लग जायेगा।