0 कलेक्टर का अल्टीमेटम भी . . . 04
टैगोर वार्ड के पूर्व पार्षद भोजराज मदने ने फिर दी सोशल मीडिया पर टिप्पणी
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। पिछले कुछ दिनों से कलेक्टर साहब की सक्रियता के कारण नगर पालिका सिवनी की नयी जलावर्धन योजना के शीघ्र प्रारंभ होने की खबरें सुर्खियों में बनी हुई हैं। उक्ताशय की बात टैगोर वार्ड के पूर्व पार्षद भोजराज मदने के द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गयी है।
वे लिखते हैं कि कलेक्टर साहब ने योजना को पूर्ण कराने की दिशा में ठोस कदम उठाये हैं। उनके निर्देशन में योजना जल्द पूरी होगी, ऐसी अपेक्षा भी करता हूँ। कलेक्टर साहब के प्रयासों के लिये उन्हें साधुवाद धन्यवाद भी देना चाहता हूँ।
भोजराज मदने ने लिखा है कि यहाँ एक बात गौर करने लायक है कि कलेक्टर साहब के द्वारा लगातार मॉनिटर करने व चेतावनी देने के बाद भी ठेकेदार ने बबरिया फिल्टर में सूआखेड़ा से पानी पहुँचाने की डेडलाईन को क्रॉस कर 11 दिन अधिक का समय लिया है।
उन्होंने लिखा है कि अब जब पानी बबरिया फिल्टर प्लांट में पहुँच गया है तो यह भी खबरें आ रही हैं कि रॉ वाटर लाईन जगह – जगह फूट रही है जिससे पानी लगातार बबरिया फिल्टर प्लांट में पहुँच नहीं पा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह नयी जलावर्धन योजना भी तो 25 वर्ष पुरानी पीएचई विभाग द्वारा निर्मित की गयी योजना की तरह पाईप फूटने के कारण असफल तो नहीं हो जायेगी?
भोजराज मदने ने लिखा है कि फिलहाल तो ऐसा ही कुछ लग रहा है कि योजना अपने उद्देश्य में आंशिक तौर पर ही सफल रहेगी क्योंकि प्रारंभ में ही रॉ वाटर लाईन अनेक स्थानों पर फूट रही है। अभी हम सिवनी नगर के नागरिक पुरानी योजना के आये दिन फूटने वाले पाईपों के कारण 25 वर्ष बाद भी प्यासे रहते हैं व नयी योजना भी वैसे ही रही तो ऐसी योजना के संबंध में यही कहा जा सकता है कि योजना का उद्देश्य नगर के नागरिकों की प्यास बुझाना नहीं अपितु जन प्रतिनिधियों की अर्थलिप्सा को बुझाना है।
उन्होंने लिखा कि दाल में नमक स्वीकार्य है पर सिर्फ नमक ही रहे यह स्वीकार नहीं। यह योजना बहुत अधिक दर पर क्रियान्वयित की जा रही है फिर भी घटिया कार्य हो, चारागाह समझ कर योजना में भ्रष्टाचार किया जाये, पाईप बार – बार फूटें तो क्या यह हमारे खून पसीने के रूप में सरकार को दिये गये टैक्स के रुपयों की होली खेलने जैसा नहीं है?
भोजराज मदने ने आगे लिखा है कि नयी जलावर्धन योजना में भ्रष्टाचार की शिकायतें, योजना प्रारंभ करते ही मिलना आरंभ हो गयीं थीं। नगर में जल वितरण लाईनों के डालने में भारी लापरवाही की गयी। निर्धारित समय सीमा में योजना क्यों पूरी नहीं हो पायी यह समझ से परे है, वहीं ठेकेदार को आये दिन भुगतान किया जाता रहा है जबकि जिन कार्याें को ठेकेदार ने किया भी नहीं है ऐसी मदों में भी नगर पालिका के बुद्धिमान यांत्रिकी विभाग ने भुगतान करने की अनुशंसा कर दी थी।
उन्होंने लिखा है कि तत्कालीन कलेक्टरों ने योजना की जाँच भी करायी, शायद कुछ दण्ड भी लगाया गया पर दण्डात्मक कार्यवाही को नगर पालिका ने लागू किया कि नहीं पता नहीं? नगर पालिका के द्वारा ठेकेदार को पूरा मौका दिया गया और ठेकेदार के पक्ष में जब राज्य की जाँच समिति ने रिपोर्ट दे दी तब कलेक्टर के द्वारा करायी गयी जाँच का औचित्य ही समाप्त हो गया है। अब सवाल यही है कि या तो कलेक्टर की जाँच समिति ने गलत रिपोर्ट दी या राज्य की समिति ने!
उन्होंने लिखा है कि वैसे मुझे इस योजना के लंबे समय तक सफल रहने की उम्मीद नहीं है क्योंकि इस योजना के तहत सूआखेड़ा जहाँ इंटेकवेल निर्मित किया गया है वहाँ पर 25 वर्ष पुरानी योजना का इंटेकवेल भी है जिसमंे दो वर्ष पूर्व मई माह में नाली बनाकर पानी को पहुँचाया जा रहा था। नयी योजना का इंटेकवेल भी वहीं बना दिया गया जिसमें मई जून माह में कैसे पानी पहुँचाया जायेगा यह समझ से परे है? जब पानी ही नहीं रहेगा तो यह योजना भीषण गर्मी में नगर वासियों को पानी पिलाने में कैसे समर्थ रहेगी!

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