(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में सिवनी पिछले साल की तुलना में सात पायदान नीचे चला गया है। यह आलम तब है जब सिवनी में लगभग 340 सफाई कर्मियों की फौज कार्यरत है।
बताया जाता है कि जिला मुख्यालय में भाजपा शासित नगर पालिका क्षेत्र में सफाई के लिये कागजों पर 340 सफाईकर्मी हैं। यह अलग बात है कि यह फौज कभी सड़कों और मोहल्लों में कम ही नजर आती है। जिला मुख्यालय में हर रोज लगभग 30 टन कचरा निकासी होती है। इसके प्रबंधन के लिये भी नगर पालिका के पास किसी खास तरह के इंतजाम नहीं हैं।
बताया जाता है कि पलटा मशीन और दूसरी तरह के करारों की बात अभी भी फाईलों तक में ही सिमटी हुई है। नगर पालिका के पास सफाई के लिये 13 टिप्पर वाहन हैं जिनमें रोजना 150 लीटर डीजल की खपत दिखायी जाती है। सफाई के कुल वाहनों की संख्या बीस है। वहीं कंटेनरों की संख्या 40 है।
आवारा पशु, खाली प्लाट हैं परेशानी का सबब : जिला मुख्यालय में सफाई के इंतजामों की बात करें तो यहाँ पर आवारा मवेशी, सूकर और श्वान हर गली मोहल्लों में घूमते नजर आ जाते हैं। ये आवारा पशु घरों गलियों में गंदगी फैलाते हैं। सूकरों के नियंत्रण के लिये नगर पालिका साल में एक दो बार पशु पालकों को नोटिस और कड़ी चेतावनी जारी कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेती है।
पहले एक-दो बार नगर पालिका की सभा में सूकरों को गोली मारने जैसे कदम उठाने के प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गयी थी। इसके साथ ही सूकरों को जंगलों में छोडऩे की कवायद की गयी थी लेकिन फिर भी इनकी संख्या में लगातार इजाफा होता रहा।
इच्छाशक्ति की है कमी : जिला मुख्यालय की रैंकिंग को सुधारना कतई मुश्किल नहीं है। कमी है तो सिर्फ इच्छाशक्ति की। मात्र तीन वर्ग किलोमीटर के दायरे मेें एनएच 07 के किनारे बसे सिवनी शहर को कुदरत ने अपने दोनों हाथों से नेमतें बरतीं हैं। यहाँ पर दलसागर, बबरिया, मठ तालाब, बुधवारी, रेल्वे स्टेशन के पास दो तालाब, स्टेडियम के पास, शहीद वार्ड सहित आठ तालाब हैं लेकिन पर्याप्त देखरेख के अभाव में ये कचरा घर बन कर रह गये हैं।
इसी तरह दो सैकड़ा से अधिक कुंए हैं। शहर में पर्याप्त मात्रा में हरियाली है। यदि नगर पालिका के पास इच्छा शक्ति हो तो सिवनी आने वाले दिनों में अपनी रैंकिंग में काफी ऊँची छलांग लगा सकता है। शुरूआत में वर्तमान कलेक्टर ने इस दिशा में रुचि दिखायी थी तो नगर पालिका के सफाई कर्मी सड़कों पर नजर आने लगे थे लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम की वापिसी के साथ ही वही पुराना ढर्रा अपना लिया गया।

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