बाघ के दीदार कर रोमांचित हो रहे पर्यटक

 

 

(जाहिद शेख)

कुरई (साई)। घुमंतू पत्रकार रूडयार्ड क्पिलिंग के प्रसिद्ध उपन्यास द जंगल बुक के किरदार मोगली की कथित कर्मभूमि पेंच नेशनल पार्क को पर्यटकों के लिये खोले जाने के बाद यहाँ बाघ के दीदार कर पर्यटक रोमांचित हो रहे हैं।

पेंच नेशनल पार्क के गेट सैलानियों के लिये तीन माह बाद फिर खोल दिये गये हैं। दशहरा के दिन से गेट खोले जाने के बाद बड़ी संख्या में देशी – विदेशी पर्यटक पार्क के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ सफारी का लुत्फ उठाने पहुँच रहे हैं। गेट खुलने के पहले दिन पहुँचे पर्यटकों को पार्क के मध्य क्षेत्र में कॉलर वाली बाघिन अपने दो शावकों के साथ दिखायी दी।

पार्क के आधे हिस्से में सफारी : सितंबर के अंतिम पखवाड़े में हुई जोरदार बारिश से पेंच पार्क की सड़कें जिप्सियों के चलने लायक नहीं बची थीं। इसे देखते हुए 01 अक्टूबर के स्थान पर पार्क के गेट 08 अक्टूबर को खोलने का निर्णय पार्क प्रबंधन ने लिया था। हालांकि अब भी पार्क के सभी इलाकों में पर्यटक सफारी का लुत्फ उठाने नहीं जा पा रहे हैं। मिट्टी के कटाव के कारण पार्क के आधे हिस्से की सड़कें खराब हैं। फिलहाल पार्क प्रबंधन ने पार्क के आधे हिस्से को ही सफारी के लिये खोला है।

गुरुवार को नहीं हुए बाघ के दीदार : मंगलवार को पार्क के गेट खुलते ही पार्क का भ्रमण करने पहुँचे देशी विदेशी पर्यटकों को कॉलर वाली बाघिन के अलावा पाटदेव वाली बाघिन के दीदार हुए। कॉलर वाली व पाटदेव वाली बाघिन को समीप से देखकर पर्यटकों में उत्साह देखा गया। गुरुवार की सुबह सफारी पर गये पर्यटकों को बाघ के दीदार न होने से निराशा हाथ लगी। हालांकि पर्यटक अन्य वन्यप्राणियों व प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर उत्साहित हुए।

हर दिन जा रहीं 35 जिप्सियां : पेंच पार्क में हर दिन एक शिफ्ट में 30 से 35 जिप्सियों को प्रवेश दिया जा रहा है। सुबह व शाम की शिफ्ट में 350 से 400 पर्यटक पार्क की सफारी पर जा रहे हैं। अच्छी बारिश के कारण पेंच पार्क में चारों ओर हरियाली दिखायी दे रही है। कई इलाकों में प्राकृतिक सौंदर्य और अधिक बढ़ गया है।

पार्क के गेट दशहरा के दिन से सैलानियों के लिये खोल दिये गये हैं. पहले दिन कॉलर वाली व पाटदेव वाली बाघिन के दीदार पर्यटकों को हुए. फिलहाल पार्क के आधे हिस्से को ही खोला गया है.

विक्रम सिंह परिहार,

क्षेत्र संचालक,

पेंच नेशनल पार्क.