समस्याओं का किया समाधान
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख डॉ.एन.के. सिंह ने कुरई विकासखण्ड के रमपुरी गाँव व बरघाट विकास खण्ड के टिकारी गाँव में लगी फसलों का भ्रमण, निरीक्षण व रमपुरी में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर किसानों की समस्याओं का समाधान किया।
भविष्य के लिये सलाह किसानों को दी जा रही है। लगातार जारी बारिश से मक्का, सोयाबीन, अरहर, तिल व सब्जी वाली फसलों में जल भराव की स्थिति निर्मित हो रही है। इसलिये खेतों में नालियां बनाकर जल निकासी की उचित व्यवस्था की जाना चाहिये।
वर्तमान में धान की फसल में ब्लास्ट रोग (करपा) का प्रकोप देखा जा रहा है। करपा रोग के नियंत्रण के लिये किसान, खड़ी फसल में कार्बाेंडाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी दवा का 300 गाँव या ट्राईसायक्लाजोल 75 डब्ल्यूपी का 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। कुछ क्षेत्रों में धान की फसल में गालमिज (पोंगा) के कारण फसल में नुकसान होने की अवस्था में थायोमैथोक्जाम 25 डब्ल्यूजी दवा का 40 ग्राम या फिप्रोनिल 05 प्रतिशत एससी दवा का 400 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
धान की फसल में वर्तमान में तना छेदक का प्रकोप देखा जा रहा है। धान फसल में तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिये शुरूआती अवस्था में आजादीरेक्टीन नीम बीज अर्क का 800 एमएल या क्लोरेंट्रेनिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एससी का 60 मिली या क्लोरोपायरीफास 20 ईसी का 600 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
सोयाबीन वाले कुछ क्षेत्रों में वर्तमान में सोयाबीन की फसल पर एन्थ्रेक्नोज व पांड ब्लाईट के नियंत्रण के लिये थायोफिनाईट मिथाईल 400 ग्राम या टेबूकोनाझोल 250 मिली को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। मौसम साफ होने पर अरहर की फसल में पत्ती लपेटक कीट के नियंत्रण के लिये नांॅलफास 25 प्रतिशत दवा का 300 – 350 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
टमाटर बैंगन व फूलगोभी में फलछेदक कीट से बचाव के लिये स्पाईनोसेड दवा का 50 मिली दवा 150 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करें। भिण्डी, बैगन व मिर्च की फसल में मकड़ी का प्रकोप होने पर फोस्फोमाईट का 300 मिली दवा 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
किसानों को सलाह दी गयी है कि कीटों की वृद्धि संख्या कम करने के लिये रात में लाईट ट्रेप (प्रकाश प्रपंच) का प्रयोग करें। इसके लिये टीन या प्लास्टिक के ड्रम में ऊपर से एक बल्ब लगायें और ड्रम या टीन में थोड़ी मात्रा में कैरोसिन तेल या रोगोर दवा मिलायें।
बल्ब की रौशनी से कीट आकर्षित होकर आयेंगे और तैयार घोल में गिरने पर खत्म हो जायेंगे। ऐसा करने पर मित्र कीट बच जायेंगे। टमाटर की फसल में अगेती झुलसा व पछेती झुलसा रोग नियंत्रण के लिये पायराक्लोस्ट्रोविन मेटीराम दवा का 300 ग्राम दवा 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।