(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। गर्मी के मौसम में लू लगने से लोग बीमार पड़ जाते हैं। इस मामले में अगर सावधानी न बरती जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
जानकारों का कहना है कि मानव शरीर का तापमान हमेशा 37 डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही मानव शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है। पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37 डिग्री सेल्सियस तापमान को बरकरार रखा जाता है। लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।
जानकार बताते हैं कि पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है यहाँ तक कि कई बार बंद भी कर देता है। जब बाहर का टेम्प्रेचर 45 डिग्री सेल्सियस के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37 डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।
जानकारों की मानें तो शरीर का तापमान जब 42 सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन ठीक उसी तरह पकने लगता है जिस तरह उबलते पानी में अण्डा पकता है। इससे स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान साँस लेने के लिये जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।
जानकारों का कहना है कि शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, इससे रक्तचाप पर प्रभाव पड़ने लगता है। इसके चलते शरीर के महत्वपूर्ण अंगों विशेषकर दिमाग को खून की सप्लाई बाधित हाती है और अगर समय पर उपचार न मिले तो व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।
चिकित्सक बताते हैं कि गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिये लगातार थोड़ा – थोड़ा पानी पीते रहना चाहिये और हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिये। इक्विनॉक्स प्रभाव अगले 05 से 07 दिनों मे एशिया के अधिकतर भू भाग को प्रभावित करेगा।
इसलिये दोपहर 12 से 03 बजे के बीच घरों से न निकलते हुए ज्यादा से ज्यादा समय अपने घर, कार्यालय, कमरे के अंदर रहने का प्रयास करें। दिन में जितनी बार संभव हो पानी या तरल पदार्थ अवश्य ग्रहण करें। कम से कम तीन लिटर पानी का सेवन अवश्य करना चाहिये। किडनी के मरीजों को कम से कम 06 से 08 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिये।
गर्मी के मौस में ठण्डे पानी से नहायें, दही, छांछ का प्रयेग अधिक करें। भोजन में ताजी सब्जियों और फलों को तरजीह दें। एक मोमबत्ती को खुले में रखें अगर यह पिघलने लगे तो समझें कि शरीर का तापमान नियंत्रित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

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