समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर छापा

 

 

 

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)

रामपुर (साई)। दो दर्जन से भी अधिक मामलों में फंसे समाजवादी पार्टी (एसपी) के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खान को पिछले दिनों ही रामपुर प्रशासन ने भूमाफिया घोषित किया था।

अब आजम की मुश्किलें और बढ़ती दिख रही हैं। मंगलवार को रामपुर में आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर प्रशासन ने छापा मारा। बताया जा रहा है कि पुलिस के साथ राजस्व विभाग की टीम वहां जमीन की पैमाइश करने गई है। इसके अलावा आजम के करीबी रहे पूर्व पुलिस अधिकारी आले हसन की तलाश में भी पुलिस ने यहां छापा मारा है। बता दें कि हासन के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है।

आजम खान और उनके सहयोगी आले हसन के खिलाफ 26 किसानों की 5 हजार हेक्टेयर जमीन हड़पकर मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में इस्‍तेमाल करने का संगीन आरोप है। इस मामले में उनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हुए हैं। वहीं, जिला प्रशासन ने आजम के खिलाफ कार्रवाई की है। एसडीएम की तरफ से उनका नाम ऐंटी-भू माफिया पोर्टल में दर्ज कर लिया गया।

आजम और हसन के खिलाफ एफआईआर

अजीम नगर पुलिस थाने में यूपी के राजस्व विभाग ने बीते पिछले दिनों आजम और उनके सहयोगी अले हसन खान नाम के एक पूर्व पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद उनके खिलाफ एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हो गए।

26 किसानों की जमीन हड़पने का आरोप

एफआईआर के अनुसार, आजम खान और उनके करीबी सहयोगी अलेहसन खान नाम के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने कथित तौर पर 26 किसानों से जमीन हड़प ली और इस जमीन का उपयोग एसपी नेता ने अपनी करोड़ों की मेगा परियोजना- मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में किया। राजस्व विभाग की एफआईआर के बाद रामपुर के 26 किसान, जिन्हें कथित रूप से जाली भूमि बिक्री विलेख पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रताड़ित किया गया था, अलग- अलग मुकदमा दर्ज कराएंगे।

5 हजार हेक्टेयर की विशाल भूमि पर अवैध कब्जा

राज्य के राजस्व विभाग की शिकायत में यह भी कहा गया है कि गरीब किसानों की जमीन हड़पने में अपने पद (उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री, 2012-2017 के रूप में) का दुरुपयोग करने वाले आजम खान ने 5 हजार हेक्टेयर की विशाल भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। राजस्व अधिकारी ने कहा, ‘यह भूमि नदी किनारे की है, इसका अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। हालांकि, राजस्व रेकॉर्ड जाली थे और बाद में कई सौ करोड़ की यह जमीन जौहर अली विश्वविद्यालय के रूप में अवैध रूप से हथिया ली गई।

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