अंत वाले खेतों में नहीं पहुँच रहा नहरों का पानी!

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। खेतों में लगी गेहूँ की फसलों को नहर से पानी नहीं मिलने के कारण केवलारी क्षेत्र के अनेक गाँव के किसान परेशान हैं।

भीमगढ़ डेम की नहरों से खेतों में रबी सीजन में लगायी गयी गेहूँचना व अन्य दलहनी फसलों की सिंचाई के लिये पानी तो भरपूर मात्रा में छोड़ा जा रहा है, लेकिन अंतिम छोर के किसानों को नहर का पानी नहीं मिल रहा है। इस कारण किसानों के सामने फसलों की सिंचाई की समस्या खड़ी हो गयी है।

नहर का पानी नहीं मिलने के कारण मजबूर किसानों को कुएं, बोर व आसपास के नदी नालों से फसलों की सिंचाई करनी पड़ रही है। सिंचाई विभाग के अधिकारी शीघ्र ही टेल क्षेत्र के किसानों तक पानी पहुँचाने की बात कह रहे हैं लेकिन तेज होती धूप के कारण तैयार हो रही फसलों के मुरझाने का खतरा बढ़ गया है।

क्षतिग्रस्त नहरों में आगे नहीं बढ़ रहा पानी : भीमगढ़ बांध से वर्तमान में कान्हीवाड़ा, केवलारी, डोकररांजी, पांजरा, पलारी आदि गाँवों में लगी रबी सीजन की फसलों में सिंचाई के लिये नहर से पानी छोड़ा गया है लेकिन अनेक स्थानों पर नहरें क्षतिग्रस्त हैं। कई जगह कच्ची नहरों में ऊगे घास व खरपतवार की सफाई नहीं की गयी है।

कच्ची नहरों में मिट्टी व घास जमा होने के कारण टेल क्षेत्र तक नहरों का पानी नहीं पहुँच रहा है। तापमान में हो रही वृद्धि के साथ तेज धूप, गर्मी में अनेक किसान गेहूँ की फसलों में अंतिम बार सिंचाई करने के लिये नहर से पानी मिलने की आस लगाये बैठे हैं लेकिन ढेल वालों क्षेत्रों की नहरों पूरी तरह से सूखी हुई हैं। परेशान किसान नदी, नालों व बोरिंग से निज़ि संसाधनों से पानी लेकर गेहूँ की फसलों को सिंचाई करने मजबूर हैं।

किसानों का कहना है कि टेल क्षेत्र तक पानी नहीं पहुँच पाने के कारण किसानों के खेतों में लगी गेहूँ की फसल सूखने की कगार पर पहुँच गयी हैं। सिंचाई के लिये परेशान किसान कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों से नहर में पर्याप्त पानी छोड़े जाने और ऊपरी क्षेत्र के किसानों द्वारा नहर में लगायी गयी डाट को खुलवाने के लिये गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक टेल क्षेत्र के किसानों को पानी नहीं दिया गया है।

वहीं किसानों का कहना है कि एक-दो दिन में नहर से गेहूँ की खेतों में लहलहाती खड़ी फसल को सिंचाई के लिये पानी नहीं मिला तो काफी बड़े क्षेत्रफल में लगी गेहूँ की फसलों को काफी नुकसान होगा। पानी नहीं मिलने से उत्पादन में काफी फर्क पड़ेगा।

नहर की सफाई किये बिना ही छोड़ा गया पानी : सिंचाई का पानी छोड़ने से पहले नहरों की सफाई नहीं की गयी है। इस वजह से नहरें ओवर फ्लो हो रही हैं। क्षति ग्रस्त नहरों से बड़ी मात्रा में पानी व्यर्थ में बह रहा है। इसके साथ ही नहरों में लगी काई व कचरा भरे होने के कारण नहरों से पानी के आगे बढ़ने की रफ्तार भी प्रभावित हो रही है।

वहीं कान्हीवा़ड़ा सहित कई गाँवों की क्षतिग्रस्त हो चुकी नहरों के कारण सिंचाई के लिये पानी आगे के अन्य गाँवों तक नहीं पहुँच रहा है। पांजरा, लोपा, पलारी, परासपानी आदि क्षेत्रों में की नहरें क्षति ग्रस्त हैं। नहरों का सही तरीके से मरम्मत का कार्य नहीं होने से भी जब भी नहरों से पानी छोड़ा जाता है तो बड़ी मात्रा में पानी व्यर्थ में बह जाता है। जल संसाधन विभाग द्वारा नहर की सफाई और मेंटेनेंस नहीं कराये जाने का छोर वाले खेतों (टेलपोर्शन) के किसानों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। 

पूरी रफ्तार से छोड़ा जा रहा नहरों में पानी : भीमगढ़ डेम प्रभारी एसडीओ यू.बी. मर्सकोले ने बताया कि बांध में पानी का लेबल 514.95 मीटर पर स्थिर है। बांध में लगभग 220.22 एमसीएम पानी उपलब्ध है। 53.71 प्रतिशत पानी की उपलब्धता डेम में है। फिलहाल किसानों की डिमांड को देखते हुए नहरों से 1475 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है। एलबीसी नहर से 500 क्यूसिक और आरबीसी नहर से 975 क्युसिक पानी छोड़ा जा रहा है। किसानों की डिमांड को देखते हुए आगे भी नहरें चालू रखी जायेंगी।

 

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