महज 32 साल में ही विलोपित हो गई सिवनी लोकसभा सीट, तीन बार महिलाओं ने किया सिवनी का प्रतिनिधित्व

लिमटी की लालटेन 630

1977 में अस्तित्व में आई सिवनी लोकसभा सीट पर चार बार कांग्रेस तो चार बार भाजपा ने लहराया था परचम

(लिमटी खरे)

1977 में अस्तित्व में आई सिवनी लोकसभा सीट महज 32 साल तक ही अस्तित्व में रही है। 1977 के उपरांत 2009 के लोकसभा चुनावों में सिवनी की लोकसभा सीट विलोपित कर दी गई थी। भारत के उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2002 को परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग के द्वारा 2001 की जनगणना के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया गया था। दिसंबर 2007 में इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी थी। 19 फरवरी 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के द्वारा इस आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी। यहां आपको बता दें कि देश में इस तरह के परिसीमन आयोगों का गठन 1952, 1963, 1973 एवं 2002 में किया गया था।

सिवनी लोकसभा सीट का क्या इतिहास रहा है इस बारे में आज विस्तार से जानने के लिए इतिहास पर नजर डालते हैं। 1977 में भारतीय लोकदल के निर्मल चंद जैन ने कुल वैध मत 02 लाख 69 हजार 944 में से 01 लाख 57 हजार 123 अर्थात 58.21 फीसदी वोट लिए थे, उनके निकटतम प्रतिद्वंदी ठाकुर रघुराज सिंह जो कांग्रेस के थे उन्होंने 01 लाख 03 हजार 562 अर्थात 38.36 फीसदी वोट लिए थे। 1980 के लोकसभा चुनावों में कुल 02 लाख 92 हजार 140 वोट डले जिसमें से कांग्रेस के गार्गीशंकर मिश्र ने 01 लाख 57 हजार 462 वोट अर्थात 53.9 फीसदी वोट हासिल किए थे। उस समय जनता पार्टी की ओर से निर्मल चंद जैन खड़े हुए थे जिन्हें 94 हजार 666 अर्थात 32.4 प्रतिशत वोट मिले थे। 1984 के लोकसभा चुनावों में कुल 03 लाख 49 हजार 433 वोट में से कांग्रेस के गार्गीशंकर मिश्र को 01 लाख 90 हजार 241 अर्थात 54.44 फीसदी तो उनके निकटतम प्रतिद्वंदी पंडित महेश प्रसाद शुक्ला को 01 लाख 38 हजार 191 अर्थात 39.55 फीसदी वोट मिले।

1989 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और जनता दल के बीच हुए समझौते में सिवनी लोकसभा सीट को जनता दल के खाते में दे दिया गया था। यह समझौता काफी विलंब से हुआ था, इसके पहले ही भाजपा की ओर से युवा चेहरे प्रहलाद सिंह पटेल को भाजपा का चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया गया था। इस चुनाव में कुल 04 लाख 41 हजार 708 वोट डले जिसमें से प्रहलाद सिंह पटेल को 02 लाख 04 हजार 916 अर्थात 46.39 फीसदी वोट मिले थे। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता गार्गीशंकर मिश्र को हराया था जिन्हें 01 लाख 78 हजार 391 अर्थात 40.39 फीसदी वोट मिले थे। इन चुनावों में जनता दल के मदन तिवारी जो कि भाजपा और जनता दल के अधिकृत उम्मीदवार थे को महज 33 हजार 653 अर्थात 7.62 फीसदी वोट ही मिले। 1991 के चुनावों में कांग्रेस की ओर से प्रदेश की कद्दावर नेत्री विमला वर्मा जिन्हें सिवनी में आयरन लेडी के नाम से जाना था और सिवनी की झोली में उन्होंने अनगिनत सौगातें दी थीं को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में कुल 04 लाख 05 हजार 935 वोट डले जिसमें से विमला वर्मा को 02 लाख 21 हजार 896 अर्थात 54.66 फीसदी तो तत्कालीन सांसद रहे प्रहलाद सिंह पटेल को 01 लाख 66 हजार 338 अर्थात 40.98 फीसदी वोट मिले थे।

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1996 के लोकसभा चुनावों में कुल 06 लाख 01 हजार 275 वोट डले जिसमें से भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार प्रहलाद सिंह पटेल को 02 लाख 62 हजार 373 अर्थात 43.64 फीसदी तो कांग्रेस की सुश्री विमला वर्मा को 01 लाख 97 हजार 526 अर्थात 32.85 फीसदी वोट मिले थे। 1998 के चुनावों में कांग्रेस ने एक बार फिर सिवनी लोकसभा में परचम लहराया। इस चुनाव में कुल 06 लाख 51 हजार 773 मत डाले गए थे। इसमें से कांग्रेस की ओर से सुश्री विमला वर्मा को 03 लाख 12 हजार 97 अर्थात 47.88 फीसदी तो भाजपा के प्रहलाद सिंह पटेल को 02 लाख 88 हजार 376 अर्थात 44.24 फीसदी वोट ही मिल पाए थे। 1999 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के द्वारा रामनरेश त्रिपाठी को मैदान में उतारा गया, वहीं कांग्रेस से सुश्री विमला वर्मा ही प्रत्याशी थीं। इस चुनाव में कुल 5 लाख 86 हजार 552 वोट डाले गए थे। इसमें रामनरेश त्रिपाठी ने 02 लाख 82 हजार 891 अर्थात 48.23 फीसदी वोट हासिल किए वहीं कांग्रेस की सुश्री विमला वर्मा के द्वारा 02 लाख 66 हजार 957 अर्थात 45.51 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। 1999 के उपरांत सिवनी लोकसभा से कांग्रेस का प्रत्याशी विजयी नहीं हो पाया। 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने श्रीमति नीता पटेरिया पर दांव लगाया तो कांग्रेस के द्वारा जबलपुर की महापौर रहीं कल्याणी पाण्डेय को मैदान में उतारा। इस चुनाव में कुल 05 लाख 99 हजार 553 वोट डले जिसमें से श्रीमति नीता पटेरिया के द्वारा 02 लाख 68 हजार 195 तो कल्याणी पाण्डेय के द्वारा 01 लाख 73 हजार 394 वोट लिए गए। इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की राजेश्वरी उईके के द्वारा 01 लाख 03 हजार 31 वोट हालिए किए गए थे।

तो इस तरह सिवनी लोकसभा सीट ने 32 सालों में एक बार भारतीय लोकदल, चार बार कांग्रेस, चार बार भाजपा के प्रत्याशियों को केंद्र में अपना भाग्यविधाता बनाया है। इसमें से 1991, 1998 में सुश्री विमला वर्मा एवं 2004 में श्रीमति नीता पटेरिया को सिवनी लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। इस बार 19 अप्रैल को लोकसभा के लिए मतदान होगा। आप अपने मताधिकार का प्रयोग अनिवार्य तौर पर करते हुए जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य अदा जरूर करें . . .

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)