कलेक्टर कब कसेंगे पालिका की मश्कें!

 

 

(शरद खरे)

महाभारत की कथाओं में एक वृतांत मिलता है जिसमें भगवान कृष्ण के द्वारा शिशुपाल की सौ गलतियों को क्षमा करने के बाद 101वीं गलती पर शिशुपाल का वध कर दिया गया था। ऐसा उन्होेंने इसलिये किया था क्योंकि उनके द्वारा शिशुपाल की सौ गलतियों को माफ करने का वचन दिया गया था।

सिवनी में भारतीय जनता पार्टी शासित नगर पालिका परिषद के द्वारा लगातार ही जनता के हितों की अनदेखी जिस तरह से की जा रही है उससे यही प्रतीत होता है कि नगर पालिका पर किसी का बस नहीं रह गया है। नगर पालिका ही क्यों, जिले के किसी भी विभाग पर, किसी का कोई बस नहीं रह गया है।

एनएचएआई के द्वारा बनाये गये बंजारी घाट की सड़क पर एक के बाद एक दुर्घटनाएं घट रहीं हैं। मोहगाँव से कुरई के मार्ग निर्माण के चलते यहाँ रोज ही जाम लग रहा है। नियमानुसार जिले में ट्रामा केयर यूनिट की संस्थापना 2010 में हो जाना चाहिये थी, पर अब तक नहीं हो पायी है। उक्त मामला मीडिया में बार-बार आने के बाद भी किसी तरह की कार्यवाही न होने को क्या समझा जाये!

बारिश आ गयी है। बारिश में स्थान-स्थान पर सड़कें इस तरह नज़र आने लगी हैं मानो नदी नाले हों। बुधवारी बाज़ार में कुछ दिन पहले एक भूमिगत नाला भी बनाया गया किन्तु इसके बाद भी इस बाज़ार में पानी भरना बंद नहीं हुआ। इस नाले का निर्माण जिस भी तकनीकि अधिकारी या कर्मचारी की सहमति से किया गया है उससे इसकी राशि वसूली जाना चाहिये क्योंकि यह व्यर्थ ही साबित हो रहा है।

शहर में गाजर घास ने अपना साम्राज्य पूरी तरह स्थापित कर लिया है। शहर में मच्छरों की तादाद देखते ही बन रही है। नगर पालिका की फॉगिंग मशीन का अता पता नहीं है। मच्छरों के शमन के लिये नाले, नालियों के आसपास रसायनों का छिड़काव भी कई सालों से नहीं किया गया है।

नगर का कोई नागरिक शायद ही बता पाये कि उनके क्षेत्र में पालिका की फॉगिंग मशीन कब-कब चली! जाहिर है सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिये या यूँ कहें कि नागरिकों के रिसते घाव पर मरहम को बिना डिब्बी से निकाले ही घाव पर डिब्बी घिसने का प्रयास करते नज़र आ रहे हैं सीएमओ मुकेश श्रीवास्तव!

विधायक दिनेश राय के द्वारा नवीन जलावर्धन योजना को आरंभ करने तय की गयी मियाद के बाद 496 दिन बीत चुके हैं। वहीं, जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा तय की गयी मियाद के बाद 129 दिन बीत चुके हैं। शहर में गर्मी के बाद बरसात में भी पानी की मारामारी जारी है।

जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह की पदस्थापना को भी सात माह का समय पूरा हो चुका है। माना जा सकता है कि इन सात माहों की अवधि में उनके द्वारा जिले की भौगोलिक स्थिति के साथ ही साथ जिले में पदस्थ अधिकारियों की मंशाओं और कार्यप्रणाली से वाकिफ भी हुआ जा चुका होगा।

इस लिहाज़ से यह माना जा सकता है कि अब जिला कलेक्टर को एक्शन मोड में आने की आवश्यकता है। अभी तक जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा किसी भी तरह की लापरवाही पर कठोर कार्यवाही को अंज़ाम नहीं दिया गया है, जिससे अधिकारियों में किसी तरह का संदेश नहीं जा पा रहा है।

वैसे भरत यादव की तैनाती के साथ ही जिले के प्रशासनिक मुखिया के द्वारा सिर्फ और सिर्फ समझाईशें ही दी जाती रहीं हैं, जिसका अधिकारियों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। अब आवश्यकता है समझाईश की बजाय कठोर कार्यवाही की जाये ताकि जनता को कुछ हद तक राहत मिल सके।