अस्पताल में मवेशियों का विचरण!

 

 

(शरद खरे)

मई माह में जब आचार संहिता प्रभावी थी उस समय से ही जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा प्रियदर्शनी के नाम से सुशोभित जिला अस्पताल का सतत निरीक्षण कर निर्देश दिये जा रहे हैं। अभी हाल ही में 28 जुलाई को भी जिलाधिकारी के द्वारा जिला अस्पताल का निरीक्षण किया गया था, इसके अगले ही दिन अस्पताल में आवारा मवेशियों को कॉरीडोर के अंदर विचरण करते देखा गया। इसका एक वीडियो भी जमकर वायरल हुआ।

हाल ही में सोशल मीडिया पर जिला अस्पताल के अंदर कॉरीडोर में मरीज़ों के परिजनों के आसपास रात के समय आवारा श्वानों की टोली भी दिखायी दी थी। इस तरह की स्थितियां निश्चित तौर पर चिंता का विषय इसलिये मानी जा सकती हैं क्योंकि अस्पताल की साफ सफाई और सुरक्षा दोनों ही कामों को सालों से आऊट सोर्स किया गया है। इसके लिये ठेकेदारों को हर माह भारी भरकम पैसा भी प्रदाय किया जा रहा है।

हालात देखकर यही प्रतीत होता है कि अस्पताल प्रशासन कहीं न कहीं सफाई और सुरक्षा के काम का ठेका लेने वाली कंपनी से उपकृत है। वरना क्या कारण है कि इस तरह की स्थितियों के बाद भी अस्पताल प्रशासन के द्वारा दोनों ही ठेकेदारों के काम को समाप्त नहीं किया जा रहा है।

अस्पताल कोई बगीचा नहीं है, कि जहाँ लोग दिन रात टहलें। अस्पताल में वही भर्त्ती होता है जो शारीरिक व्याधियों से ग्रसित होता है। शारीरिक रोग जब असहनीय होता है तभी लोग अस्पताल की ओर रूख करते हैं। सक्षम और संपन्न लोग तो निजि अस्पतालों में उपचार करवा लेते हैं पर गरीब गुरबे तो सरकारी अस्पतालों के भरोसे ही हैं।

अस्पताल में शल्य क्रिया वाले मरीज़ भी भर्त्ती होते हैं। बारिश में वैसे भी संक्रमण का खतरा आम दिनों से ज्यादा रहता है। इसके अलावा अस्पताल परिसर विशेषकर वार्ड के कॉरीडोर में आवारा श्वान और मवेशी अगर घूम रहे हों तो मरीज़ों पर संक्रमण का खतरा मण्डरा सकता है।

जिला अस्पताल को सीसीटीवी कैमरों की जद में रखा गया है। सीसीटीवी कैमरों (अगर ये शोभा की सुपारी न बनकर चालू हालत में हों तो) के जरिये अस्पताल प्रशासन चाहे तो घर बैठकर भी अस्पताल में क्या चल रहा है इसकी जानकारी ले सकता है। अस्पताल में इस तरह मवेशी और कुत्तों का घूमना अस्पताल प्रशासन की अक्षमता दर्शाने के लिये पर्याप्त माना जा सकता है।

वैसे आवारा श्वान और मवेशियों के बारे में खबरों के प्रकाशन और प्रसारण के उपरांत जिला प्रशासन के संज्ञान में दोनों ही बातें आ चुकी होंगी। जिलाधिकारी प्रवीण सिंह इस बात पर विचार अवश्य करें कि उनके द्वारा जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं पटरी पर लाने की कवायद की तो जा रही है पर इसमें कहीं न कहीं कोई कसर अवश्य रह जा रही है, जिसके कारण इस तरह की स्थितियां निर्मित हो रही हैं।