ओबीसी आरक्षण के मामले में कांग्रेस भाजपा आमने सामने

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक दूसरे को लिया आड़े हाथों
(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। ओबीसी के लिए रिजर्व सीट पर पंचायत चुनाव को स्थगित कर दिया गया है। इसे लेकर सियासी भूचाल आ गया है। कांग्रेस और बीजेपी ओबीसी आरक्षण पर सियासी रोटी सेंक रही है। कांग्रेस के आरोपों पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सदन में जोरदार तरीके से जवाब दिया है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की सदैव से यह नीति रही है कि सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ हर समाज को साथ में लिए आगे बढ़ते जाना है। सीएम ने कहा कि चाहे ओबीसी, अनुसूचित जाति जनजाति या सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ हो, बीजेपी ने दिया है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जहां तक ओबीसी का सवाल है, मैं पहले ही यह प्रतिबद्धता जाहिर करता हूं कि पिछड़े वर्ग के कल्याण में न तो कोई कसर छोड़ी है, न छोड़ी जाएगी। उन्होंने अपने कार्यों को बताते हुए कहा कि ओबीसी के हितों पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात न हो, इसलिए हमारी सरकार ने निर्णय लिया कि, केवल उन प्रकरणों में ओबीसी आरक्षण जिनमें न्यायालय ने स्थगन दिया है, उनमें 14 प्रतिशत रहेगा, लेकिन जिनमें स्थगन नहीं दिया, उनमें 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला हमने किया।
सीएम ने उदाहरण देते हुए कहा कि हमने 8828 पदों पर भर्ती की है। मुझे कहते हुए गर्व है कि उसमें हमने 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है। राज्य सरकार दिसंबर 2021 से 2022 में भी 23 हजार से अधिक पदों पर भर्ती परीक्षा आयोजित करने जा रही है, उनमें भी 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। कांग्रेस से सवाल करते हुए सीएम कहा कि मैं पूछना चाहता हूं, आपके एडवोकेट जनरल ने कोई तथ्य और तर्क क्यों नहीं रखें? साथ ही स्टे के बाद आपलोगों ने क्या? ताकि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल जाता। क्या आप हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट गए? जैसे आप रोटेशन के मामले में चले गए।
शिवराज ने कमलनाथ को जवाब देते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष रोटेशन भी तो आरक्षण के लिए होता है। एससी की बजाए एसटी हो जाए, एसटी के बजाए सामान्य हो जाए। रोटेशन और आरक्षण के फर्क के बारे में, मैं बाद में बोलूंगा। मैं पूछना चाहता हूं, क्यों पिछड़े वर्ग की पीठ पर छुरा घोपा गया? क्यों उस स्टे को ब्रैकेट नहीं कराया गया?क्यों आप हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में नहीं गए? चुनाव निकल गया, परिणाम भी सामने आ गए, आप चुपचाप बैठे रहे। आठ मार्च से लेकर 18 मार्च तक आप की सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठे थी। न केविएट दायर की, न निर्णय के पक्ष में वकीलों ने न्यायालय में कोई अपील की। उसका खामियाजा पिछड़े वर्ग को भुगतना पड़ा।
शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ से सवाल किया कि 27 प्रतिशत आरक्षण के माध्यम से, आपके शासनकाल में एक भी नौकरी मिली हो तो वह बता दो। उन्होंने कहा कि मैं बड़े दुख के साथ एक और महत्वपूर्ण तथ्य कहना चाहता हूं, ताकि सदन भी जाने और सदन के ही माध्यम से प्रदेश की जनता भी जाने। सुप्रीम कोर्ट ने जब निर्णय दिनांक 19 मार्च 2019 को ओबीसी के आरक्षण को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत करने वाली बात, शैक्षिक संस्थानों के संदर्भ में कही गई थी। मगर कांग्रेस सरकार ने स्वयं कोर्ट में जाकर यह पूछा कि क्या ये स्थगन पीएससी पर भी लागू होगा। लोक सेवा आयोग पर भी लागू होगा। इसी आधार पर कोर्ट ने लोक सेवा आयोग में भी 27 प्रतिशत आरक्षण पर स्टे दे दिया।
सीएम शिवराज सिंह ने कमलनाथ पर हमला करते हुए कहा कि आपकी सरकार ने पीएससी पर भी आरक्षण खत्म करवा दिया। आपका वकील वहां कोर्ट में था और आप पिछड़े वर्ग के हितों की बात करते हो, हमें पिछड़े वर्गों का विरोधी बताते हो। सीएम ने कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण भी शासकीय सेवाओं में मिले। इसके लिए भी हम लोग पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं, आपने केवल दिखावा किया था कि यह बिल्कुल स्पष्ट है।
उन्होंने कहा कि जो सबसे पीछे और सबसे नीचे हैं, जो विकास की दौड़ में पिछड़ गया है, उसे न्याय देना यह हम सब का कर्तव्य है। आज मैं कुछ सवाल खड़े करना चाहता हूं। आपने बात कही 27 प्रतिशत रिजर्वेशन की, हम भी आपके साथ खड़े थे, नेता प्रतिपक्ष पंडित गोपाल भार्गव थे। आपने 8 मार्च 2019 को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था, हम आपके साथ थे लेकिन फैसले के पीछे क्या आपकी इच्छा अच्छी थी..?
उन्होंने कहा कि लोकसभा का चुनाव सामने दिखाई दे रहा था, हार का संकट छाया हुआ था, इसलिए फैसला तो आपने कर लिया। लेकिन उस फैसले के खिलाफ 10 मार्च 2019 को उच्च न्यायालय में पिटीशन दायर की गई। 19 मार्च 2019 को केस की सुनवाई हुई, लेकिन आपके विद्वान महाधिवक्ता सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आपने यह परिवर्तन किया कि मैरिट के आधार पर ओबीसी का कोई बच्चा सिलेक्ट हो जाता था तो वह 14 प्रतिशत आरक्षण की श्रेणी में नहीं आता था। वह उसके ऊपर होता था। आपने नियम बदलकर तय किया कि मैरिट में भी आएगा तो वह 14 प्रतिशत आरक्षण में ही किया जाएगा। आपने हजारों बच्चों का भविष्य तबाह और बर्बाद करने का काम किया है और आज आप हमसे बात कर रहे है। सीएम ने कमलनाथ को कहा कि मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ आपके ढोंग, पाखंड और दोगलेपन को उजागर करने का काम कर रहा हूं। सीएम ने साफ कर दिया है कि ओबीसी के आरक्षण के साथ ही पंचायत के चुनाव हो, इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगें।
विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल स्थंगित कर पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने पर चर्चा कराई गयी। कांग्रेस ने जहां इसके लिए बीजेपी शासित शिवराज सरकार को दोषी ठहराया तो दूसरी ओर बीजेपी ने इसके लिए कांग्रेस को न्यांयालय में इस मामले को ले जाने और आरक्षण समाप्त करने के लिए दोषी बताया। चर्चा का जवाब देते हुए मुख्य्मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। उन्हों ने कहा कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही कराए जाएंगे। इसके लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने स्थगन प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला बीजेपी सरकार के उस अध्यादेश के खिलाफ गया था, जिसमें उन्होंने रोटेशन और परिसीमन को निरस्त कर दिया था। हमारी सरकार ने सीमांकन और रोटेशन किया था, जो विधि सम्मत था। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने डेढ़ साल तक कोई चुनाव नहीं कराए। जबकि, इस दौरान विधानसभा के उपचुनाव भी हो गए। फिर अचानक अध्यादेश ले आए, जिससे प्रभावित पक्ष कोर्ट गए। कमलनाथ ने कहा कि हम आरक्षण को बरकरार रखने के लिए सरकार कोर्ट जाए तो हम भी उनके साथ खड़े होंगे।
मुख्यणमंत्री चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा रही है। मैं पिछले दो दिन से प्रधानमंत्री केंद्रीय विधि मंत्री केंद्रीय गृह मंत्री के साथ संपर्क में रहकर इस विषय के निराकरण के लिए प्रयासरत था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस के लोगों द्वारा जो रोटेशन के खिलाफ याचिका लगाई गई थी, उस पर ही ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाने का निर्णय आया है इसके लिए कांग्रेस ही पूरी तरह से जिम्मेदार है हमारी सरकार ने सभी वर्गों के हितों के काम किए हैं। कांग्रेस के विद्वान अधिवक्ता उस समय न्यायालय में ही थे जब यह फैसला आ रहा था तब उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि वह अपनी वाचिका वापस ले रहे हैं। उनकी मंशा यही थी कि कैसे भी चुनाव पर रोक लग जाए। हम जो अध्यादेश लाए थे वह नियम कानूनों के तहत था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ सबको मिले यह हमारा प्रयास है। पिछड़े वर्ग के कल्याण में कोई कसर न छोड़ी गई है ना छोड़ी जाएगी। विपक्ष साथ दे तो ठीक नहीं तो उसके बिना भी अपना अभियान जारी रखेंगे। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि कांग्रेस में 27 प्रतिशत आरक्षण देने का दिखावा किया था। उस वक्त लोकसभा के चुनाव थे लेकिन जब हाईकोर्ट में इस आरक्षण को चुनौती दी गई तब तत्कालीन महाधिवक्ता ने पैरवी नहीं की। कमजोर पक्ष रखे जाने की वजह से हाईकोर्ट ने उसे स्थगित कर दिया था। हमारी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया है, जिन मामलों में हाईकोर्ट में याचिका लंबित है उन्हें छोड़कर 27 प्रतिशत का लाभ दिया जा रहा है। कई नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ भी अभ्यर्थियों को मिल चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग की पीठ पर छुरा घोंपने का काम कांग्रेस ने किया है। शिवराज ने सदन में कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ रहा था, तब कांग्रेस के विद्वान अधिवक्ता उस समय न्यायालय में ही थे। तब उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि वह अपनी याचिका वापस ले रहे हैं। उनकी मंशा यही थी कि कैसे भी चुनाव पर रोक लग जाए हम जो अध्यादेश लाए थे, वह नियम कानूनों के तहत था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग की पीठ पर छुरा घोंपने का काम कांग्रेस ने किया है।
नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने स्थगन प्रस्तािव पर चर्चा करते हुए कहा कि मैंने 40 साल संसद में बात सुनी, लेकिन मुझे लगता है कि इस सदन में असत्य बात हो रही है। 50 प्रतिशत आबादी पर चर्चा हो रही हैं। परिसीमन, सीमांकन और रोटेशन पर हमने काम किया। 28 उपचुनाव हुए, यदि सीमांकन रोटेशन गलत थी तो आप की सरकार कर सकती थी। कोर्ट में बहस केवल रोटेशन पर था, आपके वकील भी थे। कोर्ट में किसी ने उस पर कोई ऐतराज नहीं किया। मैं उपाय का उल्लेख करना चाहता हूं, अगले दिन आपका वकील कोर्ट पर जा सकता था। पर आप लोग चुप रहे। कोर्ट का ऑर्डर आया क्या आपको स्वीकार है। आप अगले दिन कोर्ट में जाकर इसमें संशोधन की बात कर सकते थे। यदि उनका अधिकार छीना जा रहा है तो आपको कोर्ट में जाना चाहिए था। हम लोग बहाना बना रहे हैं। आप यह कहिये कि हमको यह स्वीकार नहीं है। हम लोग कोर्ट में जाने को तैयार है। कल चलिए कोर्ट में। उन पिछड़ा वर्ग के लोगों के दिल में कितनी चोट आई होगी। यदि हमारी आत्मा की आवाज है तो हमको कोर्ट में जाना चाहिए। हम आरक्षण खत्म करने के लिए के लिए कोर्ट में नहीं गए तो हमको इस सदन में यह प्रस्ताव पास करना चाहिए कि यह आरक्षण हमको तैयार नहीं है। एक बार फिर यह साबित हो गया कि कांग्रेस ही ओबीसी वर्ग की सबसे बड़ी हितैषी है।
कमलनाथ ने कहा कि विवेक तन्खा को लेकर जो बात कही जा रही है, वह पूरी तरह असत्य है। कोर्ट में obc आरक्षण को लेकर कोई याचिका ही नहीं थी। जब यह निर्णय सुनाया जा रहा था उस समय सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता मौजूद थे। परंतु उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा। जबकि चाहते तो कह सकते थे कि हमें यह स्वीकार नहीं है। महाराष्ट्र के संदर्भ में न्यायालय ने आदेश पारित किया। यह बात किसी से छुपी नहीं है। सब कुछ रिकॉर्ड पर है। यदि सरकार की नीयत साफ होती तो अगले दिन इस आदेश के विरुद्ध कोर्ट जा सकती थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया। करोड़ों लोगों के अधिकार इस आदेश से छीन गए। ऐसे चुनाव का कोई मतलब नहीं है। जिसमें बड़े वर्ग की सहभागिता ना हो। उन्होंने कहा कि हम यहां उपाय निकालने के लिए बैठे हैं आप कल ही कोर्ट चलें, हम आपके साथ साथ चलेंगे। यह विषय राजनीति का नहीं है।
कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर सबसे पहले बोलते हुए पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि obc आरक्षण के कारण जो स्थिति बनी है उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 5 दिन बाद भी पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जल्दबाजी में परिसीमन और आरक्षण को लेकर अध्यादेश लेकर आई थी। उन्होंने सदन में प्रस्ताव रखा कि न्यायालय के अलावा लोक सेवा आयोग, राज्य सेवा आयोग व अन्य आयोगों में भी आरक्षण होना चाहिए इसके लिए मध्यप्रदेश विधानसभा को एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना चाहिए।
पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में कांग्रेस पार्टी आज विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लेकर आई थी। कांग्रेस पार्टी की मांग थी कि पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के ना कराए जाएं और मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए। कमलनाथ ने 2 दिन पहले ही कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग के बाद यह घोषणा कर दी थी कि बिना आरक्षण के चुनाव नहीं होने चाहिए। आज मध्य प्रदेश सरकार ने कांग्रेस की इस मांग के सामने समर्पण कर दिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में कमलनाथ की मांग स्वीकार कर लीं। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि सरकार ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है। और इस मामले में दोबारा सुप्रीम कोर्ट जाएगी। कमलनाथ ने दो दिन पहले कांग्रेसी विधायक दल की बैठक के बाद यह दोनों मागें सरकार के सामने रखी थी।
मध्य प्रदेश सरकार के इस बयान के बाद यह बात स्पष्ट हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी अब तक लगातार झूठ बोल रही थी। भाजपा की रणनीति जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में संवैधानिक कमियां छोड़कर चुनाव से बचने की थी। भाजपा का चरित्र शुरू से ही ओबीसी विरोधी है। कमलनाथ ने बहुत स्पष्ट शब्दों में मध्य प्रदेश सरकार को समझा दिया था कि अगर ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव कराए गए तो कांग्रेस पार्टी सड़क से लेकर संसद तक और न्यायालय तक संघर्ष के लिए तैयार है। भाजपा की ओबीसी विरोधी नीति के बारे में कमलनाथ ने स्पष्ट कर दिया था कि नौकरियों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण भी भाजपा के कारण से रुका है। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को भी भाजपा ने नुकसान पहुंचाया है। अगर मध्य प्रदेश चुनाव आयोग और मध्य प्रदेश सरकार के वकील माननीय सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण स्थगित किए जाने के खिलाफ पैरवी करते तो परिस्थितियां दूसरी हो सकती थी। कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता ओबीसी के हक की लड़ाई लड़ता रहेगा और न्याय दिला कर ही दम लेगा।
इधर, कांग्रेस नेता नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि कमलनाथ की माँग के आगे शिवराज सरकार को झुकना पड़ा , आख़िरकार सरकार ने अपनी गलती स्वीकारी और अब सरकार कह रही है कि ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव होंगे , सरकार सुप्रीम कोर्ट जायेगी। यदि सरकार उसी समय ही इस निर्णय का विरोध कर देती तो आज पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण समाप्त ही नही होता। सरकार पिछले तीन दिन से इस मामले में सिर्फ़ राजनीति ही कर रही थी,अब जाकर कमलनाथ के दबाव में सरकार को झुकना पड़ा। कांग्रेस सदैव ओबीसी वर्ग के हित व कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है।