इधर, रेल प्रशासन व आंदोलनकारियों के बीच चर्चा चलती रही, उधर बाजू से गुजर गए बालाघाट सांसद!

यात्री रेलगाड़ी को लेकर बंद सफल, बिना किसी लिखित आश्वासन के अनशन हुआ समाप्त, बार बार लालीपाप दे रहा रेल प्रशासन
(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नैनपुर से सिवनी होकर छिंदवाड़ा के बीच सवारी गाड़ी न चलने से सिवनी जिले के लोगों में रोष और असंतोष व्याप्त है। यात्री रेल गाड़ी चलवाने के लिए सिवनी के नागरिकों के द्वारा 09 नवंबर को बंद का आव्हान किया गया, जिसे शत प्रतिशत सफलता मिली।
बुधवार को सुबह से ही प्रतिष्ठान नहीं खुले, शालाओं में विद्यार्थियों को लाने ले जाने वाले आटो आदि के पहिए भी थमे ही रहे। चाय पान ठेले भी बंद ही नजर आए। बंद का आव्हान करने वालों के द्वारा शहर भ्रमण के उपरांत लगभग एक बजे जब बाहुबली चौराहे पहुंचे तब वहां वक्ताओं के द्वारा अपने अपने विचार रखे गए।
इसी दौरान रेलवे की ओर से सहायक वाणिज्य प्रबंधक एवं चार पांच रेलवे पुलिस के जवान मौके पर पहुंचे और सहायक वाणिज्य प्रबंधक के द्वारा उनके स्वयं की ओर से आंदोलन करने वाले संगठन को संबोधित एक पत्र सौंपा गया। इस पत्र में बहुत ही संक्षेप में इबारत लिखी हुई थी।
रेल विकास समिति के द्वारा बुधवार 09 नवंबर को किए गए बंद के आव्हान पर रेल प्रशासन के द्वारा प्रतिक्रिया भी दी है। बाहुबली चौराहे पहुंचे लोगों से चर्चा के दौरान सहायक वाणिज्य प्रबंधक जितेंद्र तिवारी के हस्ताक्षरों से युक्त एक पत्र भी सिवनी रेल विकास समिति को सौंपा गया। इस पत्र के उपरांत कुछ देर गहमागहमी के बाद आंदोलन समाप्ति की घोषणा भी कर दी गई।
इस पत्र में सिवनी रेल विकास समिति के 02 नवंबर के पत्र का जवाब 07 दिन के उपरांत सहायक वाणिज्य प्रबंधक के द्वारा देने की जहमत उठाई गई है। इसमें कहा गया कि छिंदवाड़ा सिवनी जबलपुर रेलमार्ग पर यात्री संरक्षा एवं सुरक्षा से संबंधित कार्य प्रगति पर है, जो यात्री गाड़ी परिचालन हेतु अति आवश्यक है। इसके पूर्ण होने के उपरांत एवं रेल मंत्रालय की अंतिम स्वीकृति के पश्चात यात्री गाड़ी सेवा आरंभ की जा सकेगी।
इस पत्र को प्राप्त करने के साथ ही आंदोलन में शामिल कुछ लोगों के द्वारा सहायक वाणिज्य प्रबंधक से सवाल किए गए किन्तु हर सवाल के जवाब में उन्होंने अधिकारियों तक उनकी बात पहुंचाने का आश्वासन ही दिया गया। मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि अगर संरक्षा और सुरक्षा से संबंधित कार्य अभी भी जारी हैं तो 11 एवं 12 मार्च को हुए सीआरएस में आखिर किस बात को देखा गया था! इसका जवाब भी रेल अधिकारी नहीं दे पाए।

लोगों के रोष का शमन करने का प्रयास!

रेलवे के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सहायक वाणिज्य प्रबंधक को इसीलिए मौके पर भेजा गया था ताकि लोगों के बीच रेल विभाग और केंद्र सरकार के खिलाफ उपज रहे रोष और असंतोष का शमन किया जा सके। इसके लिए ही एक पत्र स्थानीय स्तर पर लिखवाकर तैयार भी कराया गया था।

विलंब से लोग हैं खफा!

लोगों का कहना है कि मण्डला संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में मण्डला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के द्वारा काम पूरा करवा लिया गया है, इधर छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद नकुल नाथ ने अपने क्षेत्र में काम पूरा करवा लिया है, किन्तु बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में काम अधूरा है। जब भी रेल अधिकारियों से बात की जाती है तो रेल अधिकारी कोविड का बहाना बना देते हैं, जबकि कोविड अगर था तो केवलारी, कान्हीवाड़ा, छिंदवाड़ा आदि में भी था, तब वहां काम कैसे पूरा हुआ और सिवनी में काम अधूरा क्यों है!

सीआरएस, फिर टाईमिंग क्यों!

लोगों का कहना है कि रेलवे को अगर सवारी गाड़ी आरंभ नहीं करना था तो बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में भोमा से सिवनी होकर चौरई के बीच के रेलखण्ड का सीआरएस 11 व 12 मार्च को कराने का क्या औचित्य था। इतना ही नहीं 22 जुलाई को नैनपुर से छिंदवाड़ा के बीच सवारी गाड़ी चलाने के आदेश और 01 अक्टूबर को मिनिट टू मिनिट की टाईमिंग जारी करने का क्या ओचित्य था जबकि 09 नवंबर तक सुरक्षा और संरक्षा का काम ही पूरा नहीं हो पाया है!

इधर, रेल प्रशासन व आंदोलनकारियों के बीच चर्चा चलती रही, उधर बाजू से गुजर गए बालाघाट सांसद!

प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार बाहुबली चौराहे से स्टेट बैंक की ओर जाने वाले मार्ग पर जब रेलवे के अधिकारियों और आंदोलनकारियों के बीच बातचीत चल ही रही थी, उसी दौरान एसपी बंगले की ओर से बालाघाट सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन अपने चार पहिया वाहन से बाहुबली चौराहे से सर्किट हाऊस की ओर कूच कर गए। उन्होंने इस आंदोलन में सहभागिता देने की या मौके पर रूककर जिले की जनता के सवालों और अधिकारियों के जवाब से जनता को आवगत कराने की जहमत भी नहीं उठाई।
मौके पर मौजूद आंदोलन कारियों का आरोप था कि रेलवे के अधिकारी सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन के घर जाकर उन्हें पता नहीं कौन कौन सी जानकारी दे देते हैं, पर उन जानकारियों से आम जनता को आवगत नहीं कराया जाता है।