आधा अधूरा सीआरएस देखा है कहीं रेलवे के विद्युतीकरण का किसी ने!

स्टेशन से स्टेशन तक किया जाता है सीआरएस, पर सिवनी में हो रहा भोमा से बरघाट नाका रेलवे क्रासिंग तक!
(अखिलेश दुबे)


सिवनी (साई)। सात साल बीत जाने के बाद भी मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में ब्राडगेज की सीटी जिला मुख्यालय में सुनाई नहीं दे पाई है। मण्डला संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में तो अमान परिवर्तन का काम बहुत ही तेज गति से हुआ किन्तु जैसे ही बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले की बारी आई रेलवे के अधिकारियों के हाथ पांव फूलते ही नजर आए।
ज्ञातव्य है कि लगभग एक सदी पुरानी नेरोगेज को ब्राडगेज में तब्दील करने के लिए 01 दिसंबर 2015 को मेगा ब्लाक लगाया गया था। इसके बाद पटरियों के उखाड़ने का सिलसिला आरंभ हुआ। सात साल के लंबे समय के बाद भी सिवनी में ब्राडगेज की सीटी नहीं सुनाई दे पा रही है।

11 व 12 मार्च को हुआ था ट्रेक का सीआरएस

यहां उल्लेखनीय होगा कि बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में रेल की पटरियां बिछाने में बहुत ही विलंब कारित किया गया। जनप्रतिनिधियों पर यह आरोप भी लगता रहा कि यात्री बस संचालकों को लाभ पहुंचाने के लिए काम को बहुत ही मंथर गति से संचालित करवाया जा रहा है।
बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में भोमा से सिवनी होकर चौरई तक पटरी बिछने के बाद कमीशन ऑफ रेलवे सर्विस (सीआरएस) को 11 एवं 12 मार्च 2022 को अंजाम दिया गया था। इसके बाद नौ महीने बीतने के बाद 28 दिसंबर 2022 को भोमा से सिवनी के बीच विद्युतीकरण का सीआरएस किया जाना प्रस्तावित है।

नौ माह पूर्व हो चुका मण्डला संसदीय क्षेत्र में सीआरएस

यहां यह बताना भी लाजिमी होगा कि मण्डला संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में नैनपुर से केवलारी, कान्हीवाड़ा, पलारी होते हुए भोमा तक के रेल खण्ड में विद्युतीकरण का काम बहुत ही तेज गति से किया गया, और इस काम का सीआरएस भी नौ माह पूर्व 11 एवं 12 मार्च 2022 को किया जा चुका है।

स्टेशन टू स्टेशन होता है सीआरएस

रेलवे बोर्ड के सूत्रों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि 28 दिसंबर को भोमा से सिवनी के बीच विद्युतीकरण का प्रस्तावित सीआरएस रेलवे स्टेशन भोमा से रेलवे स्टेशन सिवनी के बीच न कराया जाकर इसे सिवनी शहर में बरघाट नाका रेलवे क्रासिंग (एलसी) तक कराया जा रहा है।
सूत्रों का कहना था कि अब तक जहां भी सीआरएस हुआ है वह एक रेलवे स्टेशन से दूसरे रेलवे स्टेशन के बीच ही होता है, पर रेलवे के इतिहास में शायद यह पहला मौका ही होगा जब सीआरएस को किसी लेवल क्रासिंग (एलसी) तक कराया जा रहा हो! इसके लिए स्थानीय सांसदों को रेल मंत्री से चर्चा करना चाहिए।

बचा हुआ है बहुत काम

इधर, सिवनी में बरघाट नाका एलसी से लगे रैक प्वाईंट (माल धक्का) पर अभी तक खंबों के लिए फाऊॅडेशन ही तैयार नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा माल धक्का से सिवनी रेलवे स्टेशन के बीच अभी खंबे खड़े होने का काम ही चल रहा है, जिसके कारण इसका सीआरएस सिवनी रेलवे स्टेशन तक नहीं किया जा सकता है।
लोगों का कहना है कि सिवनी के रेलवे स्टेशन से बरघाट नाका लेवल क्रासिंग तक का काम युद्ध स्तर पर पूरा कराया जाकर एक सप्ताह बाद भी अगर विद्युतीकरण का सीआरएस कराया जाता तो क्या बिगड़ जाता! यह काम जिस गति से चल रहा है उसे देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि यह काम एक माह और चल सकता है।

छिंदवाड़ा मार्ग पर तार बिछना हुआ आरंभ

उधर, सिवनी से छिंदवाड़ा के बीच के हिस्से में खंबे खड़े होना और तार बिछने के काम को मंगलवार से अंजाम देना आरंभ कर दिया गया है। मजे की बात तो यह है कि सिवनी रेलवे स्टेशन से नागपुर नाका एलसी, छिंदवाड़ा नाका एलसी के आगे फोरलेन के नए बायपास के पास से विद्युतीकरण के काम को आरंभ किया गया है। अर्थात अभी छिंदवाड़ा नाका बायपास से छिंदवाड़ा नाका, नागपुर नाका होते हुए सिवनी रेलवे स्टेशन और रैक प्वाईंट होते हुए बरघाट नाका रेलवे क्रासिंग के बीच तार फिलहाल नहीं बिछाए जा रहे हैं।

किसके दबाव में हैं रेलवे के अधिकारी!

वहीं, लोगों के बीच इस तरह की चर्चाएं भी चल रही हैं कि बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में रेलवे के अधिकारी निश्चित तौर पर किसी न किसी दबाव में ही काम कर रहे हैं, यही कारण है कि यहां का काम सबसे अंत में और अंतिम प्राथमिकता में ही दिखाई दे रहा है।
और तो और एक रेलवे स्टेशन से दूसरे रेलवे स्टेशन के बीच होने वाला सीआरएस अब भोमा रेलवे स्टेशन से बरघाट नाका लेवल क्रासिंग तक कराया जा रहा है जिसका औचित्य शायद रेलवे के अधिकारी या बालाघाट के सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन बेहतर बता सकते हैं!