विद्युतीकरण का निरीक्षण किया और साथ ही साथ सीआरएस भी कर गए पीसीईई

भोमा से सिवनी के बीच सभी पुल पुलियों, रेलवे क्रासिंग आदि का बहुत ही बारीकी से किया निरीक्षण, साथ ही लिया स्पीड ट्रायल
(अखिलेश दुबे)


सिवनी (साई)। सिवनी शहर के बरघाट नाका रेलवे क्रासिंग और भोमा के बीच हुए रेल पथ के विद्युतीकरण का निरीक्षण और कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी दोनों ही काम बिलासपुर से आए प्रधान मुख्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (पीसीईई) रामेन्द्र कुमार तिवारी के द्वारा शुक्रवार को किया गया। उनके साथ नागपुर मण्डल के अतिरिक्त मण्डल रेल प्रबंधक जी. व्ही. जगताप भी मौजूद रहे।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पीसीईई श्री तिवारी को सुबह 08 बजे भोमा पहुंचना था किन्तु वे लगभग साढ़े बारह बजे के उपरांत ही भोमा पहुंचे। इसके पहले उनके द्वारा सिवनी के रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया गया। वे सेल्फ प्रोपेल्ड इंस्पेक्शन कार (स्पिक) के द्वारा सिवनी से भोमा पहुंचे। इसमें तीन डिब्बे प्रथक से लगे थे जिसमें से एक इंस्पेक्शन कार, एक द्वितीय श्रेणी वातानुकूलित और एक जनरल डब्बा था। यह रेलगाड़ी डीजल इंजन के जरिए भोमा पहुंची।
भोमा रेलवे स्टेशन का बारीकी से निरीक्षण करने के बाद पीसीईई रामेंद्र कुमार तिवारी इस विशेष रेलगाड़ी से लगभग डेढ़ बजे रवाना होकर सिवनी पहुंचे। रास्ते में उनके द्वारा लगभग सभी पुल पुलियों, रेलवे क्रासिंग आदि पर बिजली के खंबों, उनकी अर्थिंग आदि का बहुत ही बारीकी से निरीक्षण किया गया। यह रेलगाड़ी भोमा से सिवनी लगभग रेंगते हुए ही सिवनी रेलवे स्टेशन पर साढ़े तीन बजे के करीब पहुंची। इसके उपरांत अधिकारियों और अन्य स्टॉफ के लिए कुछ समय भोजनावकाश के लिए सुरक्षित रखा गया था।
इसके उपरांत लगभग साढ़े चार बजे जब एक बार फिर पीसीईई सहित सभी अधिकारी कर्मचारी रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ी के समक्ष पहुंचे तब उनके द्वारा इलेक्ट्रिक इंजन के ठीक पीछे स्पिक कोच लगाने की बात कही। दरअसल, इंजन के पेंटोग्राफ को वे इस कोच में बैठकर देखकर संतुष्ट होना चाह रहे थे, पर समस्या यह थी कि अगर उस वक्त इलेक्ट्रिक इंजन के पीछे स्पिक कोच को लगाया जाता तो कम से कम पांच बार शंटिंग करना पड़ता।
इस बात का निकाल यह निकाला गया कि पूरे के पूरे रैक (रेलगाड़ी) को डीजल इंजन से ढकेलते हुए बरघाट नाका रेलवे क्रासिंग के पास ले जाया गया। इसके इलेक्ट्रिक इंजन को छोड़कर बाकी रैक वापस सिवनी रेलवे स्टेशन लौट गया। इसी बीच इलेक्ट्रिक इंजन का पेंटोग्राफ को उठाकर बिजली के तार (कनेक्ट वायर) से स्पर्श कराया गया और सिवनी शहर में पहली बार बिजली का इंजन स्टार्ट हुआ।
कुछ समय बाद सिवनी रेलवे स्टेशन की ओर से स्पिक कोच आया और उसे इस इंजन के साथ जोड़ दिया गया। इसके पूर्व बाकी के सारे कोच लेकर भोमा तक स्पीड ट्रायल किया जाना प्रस्तावित था किन्तु शाम ढलने और समय अधिक होने के कारण सिवनी से भोमा के बीच स्पीड ट्रायल सिर्फ इंजन और स्पिक कोच के जरिए किया गया।
सिवनी के बरघाट नाका रेलवे क्रासिंग से यह विशेष रेलगाड़ी रवाना होकर लगभग 90 से 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलते हुए महज 14 मिनिट में ही भोमा रेलवे स्टेशन पर जा पहुंची। भोमा में 10 मिनिट में इंजन को स्पिक कोच के आगे से निकालकर उसे दूसरी लाईन पर ले जाकर सिवनी की ओर लाकर जोड़ दिया गया और एक बार फिर भोमा से सिवनी के बीच स्पीड ट्रायल किया गया। इस परीक्षण के परिणाम आने वाले कुछ दिनों में पीसीईई के द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारियों को भेज दिए जाएंगे।

निरीक्षण और सीआरएस साथ साथ

रेलवे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ट्रेक (रेलवे पटरी) या विद्युतीकरण के सीआरएस के लिए वैसे तो रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को ही बुलाया जाता रहा है। वर्तमान में रेलवे बोर्ड के द्वारा यह व्यवस्था दी गई है कि ट्रेक के सीआरएस के लिए तो कोलकता से रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को ही बुलाया जाए, पर उनके आने जाने में होने वाले व्यय को कम करने के उद्देश्य से अब प्रधान मुख्य विद्युत इंजीनियर (पीसीईई) को ही कमिश्न ऑफ रेलवे सेफ्टी के अधिकार दे दिए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि यही कारण था कि 30 दिसंबर को सिवनी में बरघाट नाका रेलवे क्रासिंग से भोमा के बीच के पथ पर हाल ही में पूरा किया गया विद्युतीकरण का निरीक्षण और सीआरएस दोनों ही काम दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्यालय बिलासपुर से आए प्रिंसपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रामेंद्र कुमार तिवारी के द्वारा नागपुर के अतिरिक्त मण्डल रेल प्रबंधक जी.व्ही. जगताप की उपस्थिति में एक साथ कर दिया गया है।

भोमा से सिवनी के बीच के विद्युतीकरण का सीआरएस 30 दिसंबर को संपन्न हो गया है। अब सारी रिपोर्टस का अध्ययन किया जाएगा। अगर यह काम संतोषजनक पाया जाता है तो जल्द ही इस हिस्से को हरी झंडी दी जाएगी और इसे चार्ज किया जा सकेगा।
रामेंद्र कुमार तिवारी,
प्रधान मुख्य विद्युत अभियंता,
एसईसीआर, बिलासपुर.