बच्चों ने अमर कर दिया परिजनों का प्रेम एक ही चिता पर साथ विलीन हुए दंपति
(ब्यूरो कार्यालय)
गाज़ीपुर (साई)। 07 फेरे लेकर 07 जन्मों तक साथ देने व साथ जीने व साथ मरने का वादा करने वाले फिल्मी डायलॉग जब वास्तविक दुनिया में सच होते हैं तो ये हर किसी के जुबान पर छा जाते हैं और एक मिसाल भी कायम कर जाते हैं। ऐसा ही मामला रेवतीपुर थानाक्षेत्र के रामपुर उर्फ साधोपुर गाँव में हुआ। जहां पत्नी की मौत के कुछ ही घंटे बाद वृद्ध पति ने भी दम तोड़ दिया। जिसके बाद परिजनों ने भी मां-बाप को सम्मान देते हुए उनकी प्रेम कहानी को अमर कर दिया और न सिर्फ उनकी अर्थी को एक साथ घर से निकाला, बल्कि एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार भी हुआ।
ये देखकर जहां हर कोई दुःख से भर उठा, वहीं उनके प्रेम को अमर बताते हुए उनकी मिसाल भी दी। गांव निवासी कामेश्वर उपाध्याय लेखपाल पद से सेवानिवृत्त थे और 87 वर्ष के थे। वहीं उनकी पत्नी चंपा उपाध्याय 85 वर्ष की थीं। दंपति कुछ दिनों से बीमार थे तो उनका उपचार भी एक साथ वाराणसी में चल रहा था। कामेश्वर को राहत मिली तो उन्हें घर लाया गया लेकिन पत्नी चंपा वाराणसी में ही रहीं। लेकिन इलाज के दौरान चंपा ने दम तोड़ दिया।
इस बात की सूचना कामेश्वर को मिली तो उनका चेहरा एकदम सफेद पड़ गया और वो एकदम चुप से हो गए। इधर बेटे मां के अंतिम संस्कार की तैयारी में जुट और उधर जीवनसंगिनी के हमेशा के लिए छोड़ जाने के गम ने कामेश्वर को ऐसा तोड़ा कि कुछ ही घंटे के अंदर वो भी अपनी जीवन संगिनी के अंतिम सफर पर उनके साथ ही चल दिए और अपना शरीर त्याग दिया। जब परिजनों को पता चला तो उनके कोहराम मच गया। इसके बाद परिजनों के प्रेम को अमर बनाने के लिए बच्चों ने एक साथ दोनों की अर्थी निकाली और फिर श्मशान घाट पर उनके प्रेम को असल अंजाम देते हुए एक ही चिता पर उनका अंतिम संस्कार किया।
उनकी एक साथ चिता जलती देख हर किसी का हृदय फट पड़ा लेकिन वो ही उनके प्रेम की मिसाल भी दे रहे थे। कामेश्वर चार भाईयों में सबसे छोटे थे। उनके तीन पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र दयानंद यूपी पुलिस में हैं। वहीं बीच के शिवाजी उपाध्याय परमाणु ऊर्जा में वरिष्ठ प्रबंधक हैं और सबसे छोटे पुत्र मृत्युंजय सीआरपीएफ में हैं। मां व पिता को मुखाग्नि उन्होंने ही दी।