डेंगू, मलेरिया, चिकन गुनिया का मण्डरा रहा खतरा!

 

 

(सादिक खान)

बारिश के मौसम में छतों, घरों, बेकार टायरों, गमलों आदि में पानी एकत्र होने से उनमें मच्छरों की फौज तैयार हो सकती है। नगर पालिका परिषद के द्वारा मच्छरों के लार्वा विनिष्टिकरण के प्रयास संजीदगी से नहीं किये गये तो मच्छर जनित डेंगू, मलेरिया, चिकन गुनिया जैसे रोगों का हमला बढ़ सकता है।

डेंगू बुखार एक प्रकार के वायरस, जिसे डेन वायरस भी कहते हैं, की वजह से होता है। एक बार शरीर में वायरस के प्रवेश करने के बाद डेंगू बुखार के लक्षण सामान्यतः 05 से 06 दिन के बाद मालूम पड़ते हैं। डेंगू बुखार का वायरस एडीज नामक मच्छर के काटने से रोगी व्यक्ति से स्वस्थ्य व्यक्ति में फैलता है। यह मच्छर दिन के समय काटता है, मच्छर के शरीर में एक बार वायरस के पहुँचने के बाद पूरी जिन्दगी बीमारी फैलाने में सक्षम होता है। यह मच्छर साफ पानी में अण्डे देता है।

जानकार बताते हैं कि मादा मच्छर साफ पानी में अण्डे देती है, अण्डे से एक कीड़ा निकलता है, जिसे लार्वा कहते हैं। लार्वा से प्यूपा बनता है एवं फिर मच्छर बन जाता है। लार्वा व प्यूपा अवस्था पानी में रहते है और मच्छर पानी के बाहर रहता है। अण्डे से मच्छर बनने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है। मच्छर का जीवनकाल लगभग तीन सप्ताह का होता है। एडीज मच्छर काले रंग का होता है, जिस पर सफेद धब्बे बन होते हैं। इसे टाईगर मच्छर भी कहा जाता है।

वहीं, शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के घरों में आजकल पानी को संचय करने की प्रवृत्ति होने से अक्सर सभी व्यक्ति घरों में पानी कंटेनर में 5-7 दिन से ज्यादा रखने लगे हैं। सीमेंट की टंकी, प्लास्टिक की टंकी, पानी का हौद, नांद, मटका, घरों में रखे हुए फूलदान, जिसमें अक्सर मनी प्लान्ट लगाते है, पशुओं के पानी पीने के स्थान, टायर, टूटे-फूटे सामान, जिसमें बारिश का पानी जमा होता रहता है, में एडीज मच्छर पैदा होता है।

अक्सर यह देखा जाता है कि ये कंटेनर ढंके हुए नहीं रहते हैं, जिससे इनमें मच्छर उत्पन्न होते रहते हैं। यदि इन कंटेनर्स में भरे हुए पानी को गौर से देखें तो इनमें कुछ कीड़े ऊपर-नीचे चलते हुए दिखायी देते हैं। ये ही कीड़े मच्छर बनते हैं। लार्वा पानी में रहते हैं, इसलिये इन सभी कंटेनर्स में प्रत्येक सप्ताह में एक बार पानी निकाल देना चाहिये और साफ करके फिर से पानी भरना चाहिये।

डेंगू से बचाव के सरल उपाय में विशेष है कि बुखार आने की स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर रक्त की जाँच करवायें। बुखार के लिये सिर्फ पेरासीटामॉल की गोली लें। घर में व बाहर एकत्रित पानी को तुरंत अलग करके पानी की टंकी व बर्तन सुखा लें। पानी को छानने से भी लार्वा नष्ट होते हैं। सप्ताह में एक दिन बर्तनों का सूखा दिवस मनायें ताकि बीमारी के कीटाणु न पनप सकें।

मच्छरदानी में सोयें, डेंगू के मरीज को दिन में भी मच्छरदानी में सुलायें। पूरी बाँह के कपड़े पहनें। खिड़की और दरवाजे पर मच्छर से बचाव के लिये जाली लगायें। शाम को घर में नीम का धुंआ करें। स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता आने पर सहयोग करें, ताकि वे लार्वा रोधी कार्य पायरेथम तथा टेमीफॉस का स्प्रे कर सकें। घर में कूलर, गमले, छत, पुराने टायर, टूटे-फूटे बर्तन में पानी जमा न होने दें। घर के आसपास स्वच्छता रखें। अपनी मर्जी से दवा का सेवन न करें, चिकित्सक की सलाह लें।

मनुष्य हमेशा से ही अपनी समस्याओं का हल निकालने में माहिर है फिर वह समस्याएं कोई छोटी हों या बड़़ी। ठीक ऐसे ही हर बीमारी को दूर करने के भी कई तरीके हैं। बात करें मलेरिया बुखार की तो यह कोई नयी बीमारी नहीं है लेकिन मलेरिया की रोकथाम अभी तक पूरी तरह से नहीं की जा सकी है। मलेरिया नियंत्रण के भरसक प्रयास किये जा रहे हैं और किये जा चुके हैं, लेकिन इसके अलावा मलेरिया से बचाव के लिये कुछ और भी उपाय अपनाये जा सकते हैं।

आईये जानें मलेरिया रोकथाम के उपायों को : मलेरिया नियंत्रण के लिये सबसे पहले मच्छरों के प्रजनन पर नियंत्रण आवश्यक है क्योंकि मलेरिया का फैलाव मच्छरों के प्रसार और मच्छरों का मनुष्य तक प्रसार पर निर्भर करता है। यदि इन दोनों कारकों में से एक को भी घटा दिया जाये तो मलेरिया को नियंत्रित किया जा सकता है। मच्छरों के प्रजनन को कम करने के लिये उनके पैदा होने वाले स्थानों को नष्ट करने की कोशिश करनी चाहिये।

मच्छरों की प्रसार संख्या घटाने के लिये दवाओं के छिड़काव के साथ ही साथ मच्छरों को काटने देने से भी बचाव जरूरी है जिसके लिये थोड़ी सी देखभाल जरूरी हो जाती है। घर में जहाँ सबसे अधिक मच्छर पनपने की आशंका रहती हो वहाँ कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव करना चाहिये।

घरों के आसपास गंदगी न होने दें। यदि पानी जमा है तो उसे साफ करें नहीं तो कीटनाशक दवाईयों का प्रयोग करें। पुराने रखे पानी को सप्ताह में एक बार बदलें। यदि ये संभव न हो तो केरोसिन या अन्य दवाईयां डालें। गंदे नालों को ढंक कर रखें व समय-समय पर उनकी सफाई करवाते रहें। घर में कहीं भी व्यर्थ पानी जमा न होने दें।

मलेरिया के फैलाव से बचने के लिये मच्छरदानी, मॉस्क्यूटो ट्यूब, नेट इत्यादि का प्रयोग सोते समय करें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। मलेरिया के लक्षण दिखायी देने पर तुरंत मलेरिया निरोधक दवाएं लें या डॉक्टर से संपर्क करें।

नगर पालिका परिषद सहित नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के द्वारा मच्छरों के शमन की बातें महज कागजों और नारों तक ही सीमित कर दी गयी हैं। जिले में मलेरिया अधिकारी कार्यालय में भी कर्मचारी मानो कुर्सियां ही तोड़ते नज़र आते हैं।

शहर में पसरी गंदगी और पानी के पोखरों में मच्छरों की तादाद खासी दिखायी दे जाती है। गौधूली बेला के साथ ही घरों में मच्छरों की भुनभुनाहट भी सुनायी देने लगती है। कच्चे घरों में रहने वाले लोग शाम ढलते ही घरों में धुंआ करते नज़र आते हैं, जिससे यह बात साफ हो जाती है कि स्थानीय निकायों और मलेरिया विभाग के द्वारा कितनी संजीदगी के साथ मच्छर, मलेरिया आदि से निपटने के काम को अंजाम दिया जा रहा है।

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