सीआरपीएफ के अधिकारियों से लें मदद

0 हम शर्मिंदा हैं शुभाश्री . . . 04

(लिमटी खरे)

कितने आश्चर्य की बात है कि वर्ष 2010 में सिवनी में आरंभ होने वाला ट्रामा केयर यूनिट आज भी आकार नहीं ले सका है। एक दर्जन से ज्यादा सांसद, विधायक और आधा दर्जन जिलाधिकारियों की आँखों में धूल झोंककर स्वास्थ्य विभाग और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के द्वारा जिस तरह इस ट्रामा केयर यूनिट को बड़ी चतुराई के साथ फोरलेन से लगभग आठ किलोमीटर दूर घुमावदार रास्तों से होते हुए जिला अस्पताल में बनवा दिया गया, वह वाकई शोध का ही विषय माना जा सकता है।

शोध का विषय इसलिये क्योंकि पहले 26 जनवरी 2016 उसके बाद 12 फरवरी 2016 को सिवनी के ट्रामा केयर यूनिट का लोकार्पण तत्कालीन किसान कल्याण मंत्री गौरी शंकर बिसेन के द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र सहित कार्यक्रम में इस बात का कहीं जिक्र भी नहीं किया गया था कि इस ट्रामा केयर यूनिट को एनएचएआई के सहयोग से बनवाया गया था। जाहिर है उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और जिले के दोनों सांसद बोध सिंह भगत एवं फग्गन सिंह कुलस्ते भाजपा के ही थे। इनके अलावा सिवनी के विधायक दिनेश राय निर्दलीय थे जबकि केवलारी के विधायक रजनीश हरवंश सिंह और लखनादौन विधायक योगेंद्र सिंह काँग्रेस के विधायक थे।

इस लिहाज से जिले में तीन-तीन विधायकों के विपक्ष में बैठने के बाद भी विधान सभा में किसी भी विधायक के द्वारा इस बात को इसके लोकार्पण के उपरांत नहीं उठाया गया कि इस भवन को किस मद से बनाया गया है और इसे आरंभ क्यों नहीं कराया जा रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम से तो यही प्रतीत होता है कि तत्कालीन जिलाधिकारी सहित प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के द्वारा इस मामले में किसी षड्यंत्र के तहत ही चुप्पी साधे रखी गयी थी। वरना क्या कारण था कि केंद्र सरकार की इमदाद से बनने वाले इस भवन के बारे में सच्चाई से जनता तो छोड़िये जनप्रतिनिधियों को अवगत कराना किसी ने भी मुनासिब नहीं समझा। यह अपने आप मे किसी अजूबे से कम नहीं माना जा सकता है।

देखा जाये तो जिला अस्पताल में बने ट्रामा केयर यूनिट को राज्य शासन की इमदाद से बनाया जाकर इसका संचालन राज्य सरकार के द्वारा किया जाना चाहिये था। जिले में नागपुर के न जाने कितने चिकित्सक नियम विरूद्ध तरीके से शिविरों या अन्य तरीकों से मरीजों की जेब तराशी किये जा रहे हैं।

जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित जिला अस्पताल के अधीक्षक इस बात को भली भांति जानते होंगे कि अन्य प्रदेशों से आकर सिवनी में अगर कोई चिकित्सक मरीजों का परीक्षण करता है तो क्लीनिकल एस्टबल्शिमेंट एक्ट के तहत उसे मध्य प्रदेश सरकार के पास अपना पंजीयन करवाना आवश्यक होता है। सिवनी में आकर जितने भी चिकित्सक इलाज कर रहे हैं उनमें से शायद भी किसी चिकित्सक का पंजीयन प्रदेश सरकार के पास हो।

ऐसी स्थिति में राज्य शासन को उस चिकित्सक से मिलने वाली पंजीयन फीस का नुकसान हो रहा है। जाहिर है सीएमएचओ ओर सीएस की मिली भगत से ही यह काम संभव हो पा रहा होगा। इन चिकित्सकों को अगर इस बात के लिये पाबंद किया जाये कि ये चिकित्सक कम से कम दो घण्टे का समय जिला चिकित्सालय में मरीजों को निःशुल्क देखने के लिये देंगे तो मरीजों को इनके अनुभवों का लाभ निःशुल्क मिल सकता है।

हो सकता है जिला प्रशासन के अधिकारी और सांसद-विधायक अब इस मानसिकता के साथ काम करें कि अब तो निर्माण हो ही गया है। इसे आरंभ कैसे कराया जाये, इस बारे में विचार किया जाये। अगर सांसद विधायक और जिलाधिकारी ऐसा सोच रहे हों तो उन्हें इस बारे में भी विचार करना चाहिये कि फोरलेन पर बनने वाले ट्रामा केयर यूनिट की दूरी सड़क से महज आधे किलोमीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिये।

इस लिहाज़ से जिले के जनादेश प्राप्त नुमाईंदों और जिलाधिकारी का यह नैतिक दायित्व है कि वे एनएचएआई के अधिकारियों पर इस बात के लिये दबाव बनायें कि फोरलेन पर प्रस्तावित ट्रामा केयर यूनिट को किसी भी हाल में सिवनी से होकर गुजरने वाले बायपास पर ही बनाया जाये। एनएचएआई के पास फण्ड की कमी शायद ही हो। इसके साथ ही साथ एनएचएआई के द्वारा जिले में टोल वसूली करके करोड़ों रूपये एकत्र किये जा रहे हैं। इन पैसों से भी ट्रामा केयर यूनिट की संस्थापना का काम आरंभ कराया जाकर निश्चित समय सीमा में पूरा करवाया जा सकता है।

बहरहाल, 26 अप्रैल को सीआरपीएफ की महिला बटालियन के मूवमेंट के दौरान सड़क दुर्घटना में सीआरपीएफ की महिला जवान शुभाश्री घायल हो गयीं थीं। जिला चिकित्सालय में उन्हें उपचार नहीं मिला। बाद में जठार अस्पताल में उनकी प्राथमिक चिकित्सा के बाद उन्हें नागपुर भेजा गया। जिला चिकित्सालय के ट्रामा केयर यूनिट में दस वेंटीलेटर प्रस्तावित हैं। ये अब तक यहाँ क्यों नहीं आ पाये, इसकी जवाबदेही निर्धारित होना चाहिये। इसके साथ ही साथ एनएचएआई के ट्रामा केयर यूनिट की संस्थापना के लिये जिला प्रशासन, अगर केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स के आला अधिकारियों से सहयोग माँगेगा तो निश्चित तौर पर सीआरपीएफ के अफसरान इस मामले में जिला प्रशासन को पूरा सहयोग करेंगे, क्योंकि सिवनी में ट्रामा केयर यूनिट के न होने से उन्होंने अपने एक जवान को असमय खोया है . . .!

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