मॉनसून की बिदाई के साथ ही आरंभ हुआ प्रजनन काल
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। सितंबर महीने के दूसरे पखवाड़े में पक्षियों का कलरव कुछ अलग तरह का सुनायी देता है। इसका कारण यह है कि मॉनसून की बिदाई के संकेत मिलते ही पक्षियों के द्वारा प्रजनन की तैयारी कर ली जाती है। इस दौरान अनेक पक्षियों के द्वारा अपने अण्डों को सहेजना भी आरंभ कर दिया जाता है। इस बार यह कलरव अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में सुनायी दे रहा है।
जानकारों का कहना है कि विलुप्त होने की कगार पर पहुँच चुकी गौरैया, एशीप्रिनिया, ब्लैक ड्रागो, बया, टिटहरी, मोर, बगुले, नवरंगा, एशियन पैराडाइज प्लायकेचर, ब्लेक नेक्ड मोनार्क और कोयल आदि के बच्चे कुछ ही दिनों में दिखायी देने लगेंगे। कुछ पक्षी जंगलों में तो कुछ जल स्त्रोतों के आसपास ही अपना घोसला बना चुके हैं।
जानकारों की मानें तो पक्षियों के जरिये मौसम से संबंधित अनेक जानकारियां भी मिलती हैं। पक्षियों के चमत्कारिक संसार में एक से बढ़कर एक अचरज भरी बातें हैं। ये रंग बिरंगे पक्षी अपने अण्डों और उनसे निकले छोटे बच्चों के उचित पालन पोषण और संरक्षण के लिये खूबसूरत और कलात्मक घोसले बनाते हैं। शहर के कई स्थानों पर इन दिनों पक्षियों के खूबसूरत घोसले देखने को मिल सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि मॉनसून की बिदाई के संकेत के साथ ही पक्षियों की अनेक गतिविधियों में भी इजाफा हो जाता है। इन दिनों आम, अशोक, बरगद, बबूल, पीपल सहित अनेक छोटे बड़े पेड़ और पौधों के बीच पक्षियों के घोसले देखे जा सकते हैं। वहीं साईबेरियन और अन्य प्रजाति के पक्षियों को भीमगढ़, दलसागर, ड्यूटी तालाब आदि बड़े जल स्त्रोतों के आसपास देखा जा सकता है।
जानकार बताते हैं कि हॉर्नबिल पेड़ की कोटर में घर बनाता है। वहीं अण्डे देता है। इस पक्षी का प्रजनन काल अनोखा होता है। कोटर में मिट्टी लगी होती है। इसके अंदर वह अण्डों को सहेजता है। नर हॉर्नबिल मादा और बच्चों की सुरक्षा करता है। हॉर्नबिल की चोंच मोटी व मजबूत होती है। इससे यह पेड़ में आसानी से कोटर बना लेता है। यह पेड़ पर काफी ऊँचाई का स्थान चुनता है। फिर वहाँ चोंच से कोटर बना देता है।
जानकारों का कहना है कि प्रजनन काल में पक्षी प्राकृतिक रूप से आवास और भोजन का चयन करते हैं। इन दिनों शहर का मौसम साफ हो गया है। पानी, हवा, भोजन सबकुछ उपलब्ध है, जो पक्षियों के लिये उपयोगी है। अण्डों से बच्चे 15 से 20 दिन में निकलते हैं। हॉर्नबिल इस दौरान काफी समर्पित हो जाता है। प्रजनन काल में कोई अन्य पक्षी अण्डों को प्रभावित न करें, इसलिये यह अपनी जीवन संगिनी को कोटर में बंद कर देता है। यह ऊपर से मिट्टी लगाता है और बाहर से ही उसकी सेवा करता है।