बच्चों ने जलायी कण्डों की होली

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। नगर मंे गौ, गीता, गंगा महामंच की प्रेरणा से बच्चों द्वारा गाय के गोबर से बने कण्डों की होली बनाकर पूजन कर होलिका दहन किया गया।

उक्ताशय की जानकारी के साथ महामंच द्वारा बताया गया कि अगर गाय के गोबर से बने कण्डों का प्रयोग होली दहन जैसे आयोजनों में किया जाये तो प्रकृति में पेड़ों को नुकसान भी नहीं पहुँचेगा और आने वाली पीढ़ी को भी इससे गोमाता का महत्व पता चलेगा। बच्चांे को पर्यावरण में पेड़ों को नुकसान न पहुँचाने पर्यावरण को शुद्ध रखने की बात महामंच द्वारा कही गयी।

गौ, गीता, गंगा महामंच के अध्यक्ष पं.रविकान्त पाण्डेय ने कहा कि देश की प्राचीन संस्कृति, प्रकृति में दैवी स्वरूप का दर्शन कर, उसकी अर्चना करती थी, प्रकृति को माता की संज्ञा प्रदान की गयी, पर आज की मूल्य विहीन जीवन शैली में लोग अपनी पहचान भूल गये हैं। उन्होंने कहा कि मूल्यों की रक्षा का तो प्रश्न ही नहीं और इसी का दुष्परिणाम यह है कि आज मानव और प्रकृति के रिश्ते नापाक हो गये हैं और अपने पर्यावरण को बिगाड़ लिया है। आज के वर्जनाहीन समाज में न तो जल शुद्ध रह गया है, न हवा।

पं.रविकान्त पाण्डेय ने कहा कि भारतीय चिंतकों की मान्यता थी कि संसाधन हमारी जैविक आवश्यकताओं की पूर्ति के उपादान हैं, लूट – खसोट की वस्तु नहीं। हमारी लालसा ने पर्यावरण में भयानक रूप से कुछ ऐसी तब्दीलियां कर दी हैं कि वे आज हमारे अस्तित्व की रक्षा के लिये घातक बन बैठी हैं। हमारी अगली पीढ़ी अपने पुरातन गौरवशाली मूल्यों, परंपराओं की विरोधी धारा में जी रही होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षण में हम अपनी पुरातन थाती और वैदिक ऋषियों की वाणी की रक्षा का शुभ संकल्प लें।

गौ, गीता, गंगा महामंच के अध्यक्ष पं रविकान्त पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति में होलिका दहन की परंपरा बहुत पुरानी है। प्राचीन समय में जब आबादी कम थी, जंगल घने थे और समाज के लोगों में जंगलों में गिरी हुई सूखी लकड़ियों को बीन कर होलिका दहन किया जाता था, तब पर्यावरण की चुनौती हमारे सामने नहीं थी।

उन्होंने कहा कि आज जब जंगलों में पेड़ों की संख्या में बहुत कमी आयी है और बढ़ती आबादी के कारण हरे-भरे वनों को काटा जा रहा है, ऐसी स्थिति में लकड़ियों से होलिका दहन हमारे पर्यावरण संकट को बढ़ाता है। इस संकट से बचने के लिये गोबर के कण्डों की होली एक सार्थक पहल है। इससे गौवंश का सम्मान बढ़ेगा और देश में समाज द्वारा संचालित गौशालाओं को अतिरिक्त आय का साधन भी मिलेगा।

गौ, गीता, गंगा महामंच की पहल मे नगर, गाँव मंे भी कई स्थान पर्यावरण के हित में होली पर लकड़ियों की स्थान कण्डे से होलिका दहन की षुरूआत की गयी। महामंच के सुमित चौबे ने कहा कि भविष्य में इस प्रकार के पर्व त्यौहारों के लिये शहर के कई जन संगठन, सामाजिक संस्थाएं, मीडिया समूह, पर्यावरण हितैषी और आम लोगों की भी सहभागिता निर्धारित की जायेगी। इसके लिये विशेषतौर पर जन जागरूकता अभियान भी चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि होलिका दहन में बड़ी तादाद में लकड़ियां जलाने से जंगल खत्म हो रहे हैं, वहीं इसका धुंआ पर्यावरण को भी प्रदूषित कर रहा है।

महामंच की पहल पर बच्चों द्वारा परंपरागत तरीके से स्वंय ही इस होलिका का निर्माण कण्डो द्वारा किया जाकर गाय के गोबर से बने कण्डों से ही होलिका दहन की गयी। बच्चों की इस पहल का लोगों पर असर दिखायी दिया। बताया गया है कि बच्चों द्वारा कई स्थानों पर अपने-अपने स्तर से संदेश देने का प्रयास किया गया जिससे आसपास के इलाके पर भी बड़ा असर हुआ है। आसपास के कई कस्बों – गाँवों से भी अब भविष्य में लकड़ियों के स्थान पर कण्डों की ही होली जलाने की बात कही गयी।