जिला कलेक्टर के निर्देशों की नहीं हो रही तामीली!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। लोकसभा चुनाव के लिये हुए मतदान के उपरांत जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह अढ़ायच के द्वारा स्वास्थ्य विभाग की बेढंगी चाल को पटरी पर लाने की कवायद आरंभ तो की गयी है पर जिले में बीमार चल रहीं स्वास्थ्य सेवाओं में हलचल दिखायी नहीं दे रही है।
शुक्रवार 07 जून को एक नवजात ने दुनिया में आने के महज छः घण्टे के अंदर ही दम तोड़ दिया। घटना लखनादौन के सिविल अस्पताल की बतायी जा रही है। इस संबंध में एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मजे से ठण्डे पेय पदार्थ का लुत्फ लेते हुए दिख रहे हैं और प्रसूता एवं उसके पति के द्वारा बच्चे को लेकर गुहार लगायी जा रही है।
लखनादौन थाने में पदस्थ श्री शर्मा ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस मामले में लखनादौन थाने को जो तहरीर प्राप्त हुई थी उसके अनुसार लखनादौन के वार्ड नंबर 14 निवासी राहुल ठाकुर का विवाह पूजा के साथ एक वर्ष पूर्व संपन्न हुआ था। शुक्रवार को पूजा ने सुबह नौ बजकर 10 मिनिट पर बच्चे को जन्म दिया।
उन्होंने बताया कि नवजात की माता और पिता का आरोप है कि नवजात को टीका लगाया गया था। उसके बाद ही उस बच्चे का शरीर नीला पड़ने लगा था। दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे नवजात ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उन्होंने बताया कि नवजात का शव परीक्षण कराकर पुलिस ने शव को परिजनों को सौंप दिया है।
लखनादौन के विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिलाधिकारी के द्वारा स्वास्थ्य विभाग पर नज़र रखी जा रही है। उनके द्वारा बार – बार अस्पतालों का निरीक्षण कर दिशा निर्देश भी जारी किये जा रहे हैं, पर इसका हल कुछ भी नहीं निकलता दिख रहा है।
सूत्रों का कहना था कि अब तक जिले के किसी बड़े स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्यवाही नहीं किये जाने से अधिकारियों के द्वारा जिलाधिकारी के निर्देशों को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है। इसके अलावा सालों से प्रशासनिक पद पर जमे चिकित्सकों के द्वारा सियासी तौर पर अपनी पैठ इतनी मजबूत कर ली गयी है कि उन्हें हटाना अब किसी के बस की बात नहीं रह गयी है।
इधर, सीएमएचओ कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें जिले भर के चिकित्सकों को पंद्रह दिन में अपने – अपने सभी दस्तावेज सीएमएचओ कार्यालय में जमा करने के निर्देश दिये गये थे। इसकी समय सीमा भी 23 मई को समाप्त होने के लगभग एक पखवाड़े के बाद भी किसी तरह की कार्यवाही नहीं होने से यही प्रतीत हो रहा है कि स्वास्थ्य विभाग अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है।
सूत्रों का कहना था कि जिले की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी हैं। जब तक सालों से मठाधीश बने अधिकारियों को पद से नहीं हटाया जाता है तब तक स्वास्थ्य विभाग में सुधार की उम्मीद करना बेमानी ही प्रतीत हो रहा है।