मातृधाम जगमगायेगा ज्योतिकलशों से

 

29 को मध्यान्ह काल में होगी घट स्थापना

(ब्यूरो कार्यालय)

मातृधाम (साई)। छिंदवाड़ा मार्ग स्थित मातृधाम मंदिर में नवरात्र के पर्व पर अखण्ड ज्योति कलशों की स्थापना करायी जायेगी।

मातृदेवोभव के महान सनातनी भाव का संदेश देता पावन शक्तिपीठ मातृधाम जहाँ पर द्वारका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य महाराज ने अपनी जगद्धात्री एवं जन्मदात्री का आह्वान कर मातृदेवोभव का महान संदेश दिया। शंकराचार्य महाराज ने माता गिरिजा देवी की पावन प्राकट्य स्थली में परमाराध्या श्रीविद्या एवं श्रीयंत्र की अधिष्ठात्री देवी भगवती ललितेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का देवी विग्रह विराजमान है।

मातृधाम परिसर में दस महाविद्या, बटुक भैरव, नवग्रह, ललितेश्वर महादेव, अम्बिकेश्वर महादेव के साथ श्रीइष्टसिद्धि हनुमान के दिव्य विग्रह विराजमान हैं जो भक्तों के मनोरथ पूर्ण करते हैं। श्रीयंत्र की अधिष्ठात्री देवी श्रीमाता भगवती ललितेश्वरी त्रिपुर सुंदरी की मातृभाव से उपासना है वह करुणामयी, कृपामयी, भक्तवत्सला माता अपने पुत्रों का कल्याण करती है जो साधक निष्काम भाव से श्रद्धा भक्ति युक्त होकर उस कृपामयी माता का चिंतन करता है। ध्यान करता है, पूजन करता है तो वह भगवती उस भक्त के ऐहिक एवं पारलौकिक समस्त भारों को स्वयं वहन करती है और शेष में मुक्ति भी देती है। ऐसी भगवती की उपासना मातृ भाव से ही श्रेष्ठ है। न मातुः परमस्ति दैवतम् अर्थात् माता के समान दूसरा कोई बड़ा देवता नहीं है।

विपत्ति काल में माता के श्रीचरण कमलों का निरंतर स्मरण करना चाहिये इससे मनुष्य दीनता, हीनता, दरिद्रता, आधिव्याधि, शोक संतापों से मुक्त होकर परम कल्याण को प्राप्त कर लेता है। श्रीविद्या अर्थात राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी देवी के यंत्र को श्रीयंत्र का कहा जाता है और मातृधाम इन्हीं श्रीविद्या की अधिष्ठात्री देवी महात्रिपुर सुंदरी का आराधना स्थल है।

उक्त जानकारी देते हुए धर्मवीर अजित तिवारी ने बताया कि यहाँ वर्ष भर विविध धार्मिक अनुष्ठानों पूजन का क्रम अनवरत चलते रहता है। इसी उपासना के क्रम में नवरात्रि के पर्व पर घृत एवं तेल के अखण्ड ज्योत प्रज्ज्वलित की जाती हैं।

29 सितंबर आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा रविवार के दिन मध्याह्न काल में घट स्थापना एवं ज्योत प्रज्ज्वलन वैदिक विधि – विधान से किया जायेगा। नवरात्र में माँ भगवती का विशेष पूजन, सहस्त्र अर्चन एवं रात्रि 08 बजे 108 घृत दीपों से महाआरती की जाती है। विविध धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी मातृधाम किया जाता है। श्रद्धालुओं से कहा गया है कि वे मातृधाम में शारदीय नवरात्र में अखण्ड ज्योत प्रज्ज्वलित करने, पूजन, अर्चन एवं माँ भगवती के अन्य सेवा कार्य में सहभागी बन सकते हैं।