जारी रहेगा बूंदाबांदी, फुहार का सिलसिला
(महेश रावलानी)
सिवनी (साई)। सावन में अपेक्षाकृत कम बारिश के बाद अब भादों में झमाझम से लोग खुश तो हुए पर लगातार हो रही बारिश के कारण किसानों के ऊपर, उनकी फसल पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने की आशंकाओं के बादल छाने लगे हैं। धान के लिये यह पानी अमृत तुल्य है तो बाकी फसलों के लिये लगातार गिर रहा पानी घातक हो सकता है।
मौसम विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस साल मई एवं जून में लगातार भीषण गर्मी पड़ी और इस सीजन में बंगाल की खाड़ी में आमतौर पर बनने वाले सिस्टम से दोगुना सिस्टम लगातार बने। साथ ही लगातार कम दबाव के क्षेत्र बनने के कारण मध्य प्रदेश में जुलाई के अंतिम सप्ताह से झमाझम बरसात का जो दौर आरंभ हुआ वो सितंबर के पहले पखवाड़े के लगभग अंत तक जारी है।
सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में छः मॉनसूनी सिस्टम सक्रिय हैं। इनमें से चार मध्य प्रदेश में बने हुए हैं। इनके प्रभाव से प्रदेश के कई स्थानों पर रुक-रुक कर बौछारें पड़ने का सिलसिला जारी रहेगा।
ये छः सिस्टम हैं सक्रिय : सूत्रों ने बताया कि पहला सिस्टम एक कम दबाव का क्षेत्र उत्तर मध्य प्रदेश एवं उससे लगे दक्षिण पश्चिम उत्तर प्रदेश पर बना हुआ है। दूसरा कम दबाव के क्षेत्र के ऊपरी भाग में 4.5 किलो मीटर की ऊँचाई पर चक्रवात बना हुआ है।
तीसरे सिस्टम के रूप में मॉनसून ट्रफ (द्रोणिका लाईन) बीकानेर, जयपुर से मध्य प्रदेश में सक्रिय कम दबाव के क्षेत्र से होकर अंबिकापुर, जमशेदपुर, दीघा से बंगाल की खाड़ी तक गया है।
चौथे सिस्टम के रूप में एक अन्य द्रोणिका दक्षिण गुजरात से पश्चिम बंगाल के समुद्र तट तक बनी हुई है, जो कम दबाव के क्षेत्र से दक्षिण पश्चिम उत्तर प्रदेश व उत्तरी छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड के बीच से होकर जा रही है। इसके अलावा उत्तर – पूर्व अरब सागर एवं उससे लगे इलाके में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना है। वहीं, इसके साथ ही एक अन्य चक्रवात पश्चिम बंगाल से लगे इलाके में बना हुआ है।
सिस्टम अधिक आये : सूत्रों ने आगे बताया कि इस बार मई एवं जून माह में प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ी थी। साथ ही श्रीगंगानगर क्षेत्र में रिकॉर्ड गर्मी पड़ने से मॉनसून के पहले वहाँ काफी शक्तिशाली हीट लो सिस्टम बना। इससे मॉनसून को जबरदस्त ऊर्जा मिली।
इसके अलावा जुलाई के अंतिम सप्ताह के बाद बंगाल की खाड़ी से लगातार कम दबाव के क्षेत्र बनकर आगे बढ़ते रहे। कम दबाव के क्षेत्र अमूमन बरसात के सीजन में हर माह 02 या 03 आते हैं लेकिन इस बार आधा दर्जन या उससे अधिक कम दबाव के क्षेत्र बने। इससे बरसात का क्रम लगातार बना रहा। साथ ही बरसात का सिलसिला अभी भी जारी है।
सूत्रों ने मौसम के पूर्वानुमान के हिसाब से बताया कि शुक्रवार के बाद बूंदाबांदी और फुहार का सिलसिला जारी रहेगा। इस तरह के सिस्टम के चलते इस बार नवरात्र में भी पानी गिरने की संभावनाएं सूत्रों ने जतायी है।