(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। बारिश की फुहारों के बीच बुद्धि विनायक, विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाओं की बिदाई का सिलसिला ब्रहस्पतिवार को दोपहर से आरंभ हुआ। ब्रहस्पतिवार और शुक्रवार को चतुर्दशी होने के चलते प्रतिमाओं का विर्सजन लगातार जारी रहने की उम्मीद है।
जिला मुख्यालय में ब्रहस्पतिवार 12 सितंबर को दोपहर में बूंदाबांदी के बीच बाजे गाजे सहित प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला आरंभ हुआ। इस दौरान परंपरागत उत्साह भी देखा गया। विसर्जन स्थलों पर प्रशासन के द्वारा साफ सफाई, प्रकाश, पुलिस आदि की माकूल व्यवस्थाएं की गयी थीं।
श्रीसार्वजनिक शक्तिपीठ माता विंध्य वासिनी मंदिर के पुजारी द्वारा बरघाट नाका टैगोर वार्ड रेलवे क्रॉसिंग राधे कृष्ण नगरी में विराजमान भगवान गणेश का विधिवत पूजन हवन कार्यक्रम के बाद बाजे-गाजे के साथ सभी लोग विसर्जन के लिये निकले। पं.प्रभात तिवारी ने बताया कि नागरिक बरघाट रोड से विंध्य वासिनी मंदिर होते हुए सभी, गणेश चौक से दलसागर तालाब जलाशय पहुँचे जहाँ गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया गया।
विकासखण्ड केवलारी व आसपास के ग्राम क्षेत्रों में विराजे गणपति प्रतिमा के विसर्जन के लिये ग्रामवासी बाजे गाजे के साथ आसपास की नदी, नालों के लिये निकले। ग्राम वासियों ने सागर, बैनगंगा नदी तट पर पहुँचकर गणेशजी की आरती करके विसर्जन किया।
भीमगढ़ कॉलोनी में गणेश प्रतिमाओं का ग्राम क्षेत्रों में बड़े ही हर्षाेल्सास के साथ विसर्जन किया गया। सुबह से ही ग्राम वासियों ने प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश की पूजा पाठ, आरती के साथ हवन किया। इसके बाद छोटे बड़े वाहनों में गणेश प्रतिमाओं को रखकर व वाहनों को विशेष रूप से सजा कर नदी तट स्थित विसर्जन करने निकले। श्रीसिद्ध शक्ति दुर्गा मंदिर में हवन पूजन कर महिलाओं ने कन्या भोज करवाया, तत्पश्चात भण्डारा का आयोजन किया गया। वहीं ग्राम गंगई बंजर के गणेशजी का विसर्जन भीमगढ़ बांध में किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।
सागर के आसपास के क्षेत्रों में विराजे गणपति की पूजा पाठ के चलते धर्ममय वातावरण निर्मित हो गया था। गुरुवार को हवन, पूजन के साथ ग्रामवासी प्रतिमाओं के विसर्जन के लिये निकले। पं.मोनू पांडेय ने बताया कि इस बार दो दशक बाद हस्त व चित्रा नक्षत्र योग में भगवान श्रीगणेश विराजे। गाँवों के घरों में सुबह तो सार्वजनिक पण्डालों में शाम को विघ्न विनाशक गणेशजी की स्थापना की गयी।
श्रद्धालुओं द्वारा गजानन गणेशजी की मूर्ति गाजेबाजे ढोल ढमाको के साथ घरों में.. पण्डालों तक ले जायी गयी और ग्यारह दिवस तक भगवान विघ्नहर्ता गणेशजी की हवन पूजा अर्चना की। तत्पश्चात भण्डारे प्रसाद का आयोजन हुआ और डीजे, बैंड बाजे की धुन पर नाचते गाते श्रद्धालुओं ग्रामीण द्वारा भगवान गणेशजी का विसर्जन किया गया।