0 संक्रमण की जद में अस्पताल . . . 02
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। जिला अस्पताल की साफ सफाई हो रही है अथवा नहीं, इस बारे में देखने की फुर्सत न तो स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को है और न ही इससे जन प्रतिनिधियों को ही कोई सरोकार नजर आ रहा है। अस्पताल में हर वार्ड यहाँ तक कि कॉरीडोर में भी मच्छर मक्खियां भिनभिनाते दिख जाते हैं। आवारा मवेशी, कुत्तों आदि का तो मानो यहाँ स्थायी डेरा ही बन गया है।
कमोबेश यही हाल आई वार्ड का भी है, जहाँ ऑपरेशन के बाद नेत्र रोगियों को रखा जाता है। अस्पताल का बर्न वार्ड भी इस समस्या से अछूता नहीं है जबकि, डॉक्टर्स के मुताबिक बर्न वार्ड में भर्त्ती मरीजों के खुले जख्मों पर अगर जरा भी बैक्टीरिया इंफेक्शन हो जाता है तो मरीज की संक्रमण से जान तक चली जाती है।
एक ओर जहाँ निजि अस्पतालों के आईसीयू में मरीज के परिजनों का प्रवेश भी वर्जित होता है वहीं, जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्त्ती मरीजों के उपचार करने वाले डॉक्टर्स और नर्स सहित मरीज के परिजन भी जूते चप्पल के साथ वार्ड में आते हैं। यहाँ तक कि बाहर से आने वाला सामान भी यहीं रखा रहता है। ऐसे में आईसीयू जैसी गहन चिकित्सा ईकाई में भी संक्रमण के खतरे से बचने के लिये कोई सावधानी नहीं है।
पूर्व में ऑपरेशन थियेटर में जूते पहनकर घुसने पर तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ.सत्य नारायण सोनी के साथ विवाद भी हुआ था, जिसकी जाँच जिला पंचायत की तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती प्रियंका दास के द्वारा करायी गयी थी।
अस्पताल के ड्रेसिंग रूम में सबसे पहले घायल या फिर आग से झुलसे हुए मरीज आते हैं। यहाँ पर उनकी मरहम पट्टी होती है। इसके अलावा मरीजों की पट्टी बदलने का काम भी यहीं होता है। ऐसे में यहाँ भी लोग जूते चप्पल पहनकर आते हैं। इस कक्ष में फिनायल के पोंछे के अलावा बैक्टीरिया मारने के दूसरे उपाय नहीं होते हैं। यहाँ बाहरी लोगों के जूते चप्पल पहनकर आने पर भी कोई रोक नहीं है।