नेशनल बिल्डिंग कोड की उड़ायी जा रहीं धज्जियां, नहीं होती कार्यवाही!
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। सिवनी में कुकुरमुत्ते के मानिंद चल रहे लॉन, छात्रावास और कोचिंग संस्थाओं की सुरक्षा किसके भरोस है यह बात इन सभी के संचालकों को भी शायद ही पता हो। नेशनल बिल्डिंग कोड के मामले में अभी तक स्थानीय निकायों के द्वारा शायद ही कभी पूछताछ कर कार्यवाही की गयी हो।
सिवनी में दर्जनों की तादाद में लॉन्स, कोचिंग क्लासेस और छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। इनमें आने वाले लोगों और विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिये क्या मापदण्ड तय हैं इस बारे में भी अभी तक सरकारी स्तर पर एक भी विज्ञप्ति जारी नहीं की गयी है। इसके अलावा कोचिंग संस्थाओं में एक बार में कम से कम सौ से डेढ़ सौ विद्यार्थी कोचिंग लेने आते हैं। वहीं छात्रावासों में भी अनेक विद्यार्थी निवासरत हैं।
जिला प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बात की जाये नेशनल बिल्डिंग कोड के प्रावधानों की तो एक भी संस्थान इनका पालन नहीं कर रहा है। यह बात भी प्रशासन को मालूम है, फिर भी वह खामोश होकर कोचिंग संस्थान, लॉन और हॉस्टलों में एक सामान्य कार्यवाही का ही दिखावा तक नहीं करता है।
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में फायर एण्ड लाईफ सेफ्टी की जाँच और अनुमति के लिये अग्नि प्राधिकारी भोपाल के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिसके कारण अधिकांश संस्थान अपनी मनमर्जी से फायर एण्ड सेफ्टी किट को बनाकर उसे अपने – अपने संस्थानों में संस्थापित कर देते हैं।
सूत्रों ने बताया कि स्थानीय स्तर पर फायर ब्रिगेड के अधिकारी कर्मचारी इतने प्रशिक्षित नहीं हैं कि वे स्थानीय स्तर पर बनायी गयी इन किट को मानक आधार पर बनाया गया है अथवा नहीं इस बात का प्रमाणीकरण नहीं कर सकते हैं, इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जिले में संचालित लॉन, कोचिंग संस्थान और छात्रावास कितने सुरक्षित हैं।
क्या है एनबीसी-4 : इधर, अग्नि शमन प्राधिकारी भोपाल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एनबीसी अर्थात नेशनल बिल्डिंग कोड 04 में अग्नि शमन यंत्रों की व्यवस्था व बिल्डिंग अनुमति के लिये नियम बने हुए हैं। इसके साथ ही प्रदेश के शिक्षण संस्थानों के एनबीसी 2005 के भाग 04 के तहत भी नियम हैं जिसके तहत भूतल के अलावा प्रथम व द्वितीय तल वाले भवनों के लिये अग्नि शमन यंत्रों का प्रावधान अनिवार्य है।
सूत्रों ने आगे बताया कि इन प्रावधानों के पालन के लिये 28 मई 2014 को नगरीय प्रशासन विभाग से सभी शालाओं, महाविद्यालयों के साथ ही कोचिंग क्लासेज व छात्रावासों के प्रभारी अधिकारियों और संचालकों की मासिक व त्रैमासिक बैठक बुलाने के भी निर्देश दिये गये थे।
इसके साथ ही साथ आग व अन्य सुरक्षा इंतजाम न करने वालों की सूची तैयार करने कहा गया था। जिला प्रशासन न तो निजि संस्थान के संचालकों की बैठक बुलाता है, न मॉनीटरिंग होती है और न ही खामी पाये जाने के बाद भी कड़ी कार्यवाही की जाती है।
गुजरात के सूरत के कोचिंग संस्थान में हुए हादसे के उपरांत प्रदेश सरकार के द्वारा इस मामले में सख्ती बरतते हुए दिशा निर्देश जारी किये गये थे। सिवनी के कोचिंग संस्थानों में जाँच की रस्म अदायगी तो की गयी पर इसके बाद क्या हुआ इस बारे में शायद ही कोई जानता हो।
20 से अधिक बच्चे तो नियम लागू : सूत्रों ने बताया कि एनबीसी के फायर एण्ड लाईफ सेफ्टी नियम 2016 हर उन संस्थाओं में लागू हैं जहाँ 20 या 20 से अधिक बच्चे अध्ययन करते हैं या रहते हैं। इसके तहत शहर के तमाम कोचिंग संस्थाएं, शालाएं एवं छात्रावास आ रहे हैं।
इसका कारण यह है कि हर जगह 20 से अधिक ही विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। गली मोहल्लों में भी घरों में कोचिंग क्लास और छात्रावास संचालित किये जा रहे हैं जो अवैध रूप से चल रहे हैं। इन पर कभी भी कार्यवाही नहीं होती है। इसके अलावा स्थानीय दमकल विभाग के पास भी फायर एण्ड लाईफ सेफ्टी के तहत अनुमति देने और जाँच के अधिकार नहीं होने के कारण इस तरह के मामले में कार्यवाही सिफर ही रहती है। अग्नि प्राधिकारी भोपाल चाहे तो इस मामले में जाँच दल का गठन कर सकता है, पर इसमें कम से कम एक प्रशिक्षित अधिकारी का होना आवश्य है ताकि वह नियम कायदों के तहत जाँच कर अपना प्रतिवेदन जिलाधिकारी को सौंप सके।

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