कलेक्टर के निर्देश उड़ रहे हवा में!

 

 

छपारा में मरीज़ों के परिजन हाथ में बोतल थामे चढ़वा रहे ब्लड!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। भले ही जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह को 16 मई को छपारा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निरीक्षण के दौरान व्यवस्थाएं फौरी तौर पर मुकम्मल मिली हों पर छपारा के अस्पताल में मरीज़ों की आफत हो रही है। आलम यह है कि एक-एक बिस्तर पर दो-दो मरीज़ हैं और मरीज़ों के परिजन हाथ में बोतल थामे खून चढ़वा रहे हैं।

ज्ञातव्य है कि जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा मई माह को पूरी तरह स्वास्थ्य विभाग के लिये समर्पित कर दिया गया था। मई माह में उनके द्वारा जिला अस्पताल का आठ से ज्यादा बार निरीक्षण किया गया। इसके अलावा छपारा, लखनादौन, घंसौर, धनौरा आदि अस्पतालों को भी उनके द्वारा वहाँ जाकर देखा गया।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा स्वास्थ्य विभाग को राडार पर तो रखा गया है किन्तु उनके द्वारा अब तक सिर्फ और सिर्फ तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों पर ही निलंबन, वेतन वृद्धि की गाज गिरायी जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि इसके चलते अधिकारियों पर किसी तरह का असर नहीं हो पा रहा है, और अधिकारी स्वच्छंद होकर स्वेच्छाचारिता अपनाये हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग में नियंत्रणकर्त्ता अधिकारियो में सीएमएचओ के अलावा दो-दो डीएचओ, आठ विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी और एक सिविल सर्जन होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाएं जिला कलेक्टर के सतत निरीक्षण के बाद भी पटरी पर नहीं आ सकी हैं।

सूत्रों का कहना है कि 16 मई को जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा छपारा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया गया था। इस औचक निरीक्षण की सूचना सीएमएचओ कार्यालय के द्वारा बीएमओ छपारा को लीक कर दी गयी थी। यही कारण था कि कलेक्टर के निरीक्षण के दौरान चिकित्सकों सहित सभी गणवेश में नजर आ रहे थे। इसके अलावा अस्पताल की साफ – सफाई भी चाक चौबंद ही नजर आ रही थी।

सीएचसी छपारा का आलम यह है कि महिला को रक्त अल्पता के चलते खून लग रहा है और महिला का पति लगभग आधे घण्टे तक खून की बोतल हाथ में लिये खड़ा नज़र आता है। यह इसलिये क्योंकि अस्पताल में बोतल टांगने के लिये स्टैण्ड का अभाव है। इतना ही नहीं अस्पताल में एक-एक पलंग पर दो-दो मरीज़ नज़र आते हैं।

सूत्रों का कहना है कि जिले के कमोबेश हर अस्पताल में यही स्थिति है। मरीज़ अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ के लिये जा रहे हैं किन्तु वहाँ उन्हें स्वास्थ्य लाभ की बजाय परेशानी का सामना ही करना पड़ रहा है। सूत्रों ने कहा कि जब तक जिलाधिकारी के द्वारा इन नियंत्रणकर्त्ता अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही नहीं की जाती है तब तक इस तरह की स्थितियों में परिवर्तन होने की गुंजाईश नगण्य ही है।