यहां बेटे ने पिता का हाथ थामकर उन्हें चलना सिखाया

 

 

(भुवेंद्र त्यागी)

उस प्रौढ़ शख्स ने सुबह-सुबह फूलों से सजा हुआ ऑटो लेकर काम पर निकलते समय गर्व से अपने बेटे की ओर देखा। आखिर उसी की जिद और लगन से वह फिर ऑटो चलाने लायक हुआ था। करीब डेढ़ साल पहले सायन के इस ऑटो ड्राइवर का ऐक्सिडेंट हो गया था। उसकी ऊपरी चोटें तो ठीक हो गईं, लेकिन दिमाग की एक नस कुछ इस तरह दब गई कि उसका चलना-फिरना नामुमकिन हो गया। वह बिस्तर से लग गया। घर में अकेला कमाने वाला था। बेटा बीकॉम का छात्र था और बेटियां आठवीं और दसवीं कक्षा में पढ़ती थीं। घर में फांकों की नौबत आ गई। आखिर उसके बेटे को ही जिम्मेदारी उठानी पड़ी। कॉलेज से लौटकर वह रोज 8 घंटे अपने पिता का ऑटो चलाने लगा। इस कमाई से घर चलने लगा, लेकिन ऐसा आखिर कब तक चलता? वह बीकॉम के साथ-साथ सीए की भी तैयारी कर रहा था, इसलिए उसका हमेशा ऑटो चलाते रहना भी संभव नहीं था।

वह जब भी अपने पिता को डॉक्टर के पास ले जाता, तो उससे कहा जाता कि उन्हें फिजियोथेरपी की जरूरत है। यह इलाज 6 महीने चलता, जिसमें हजारों रुपये खर्च होते। इतने पैसे उनके पास थे नहीं। लड़के ने फिजियोथेरपिस्ट से अपॉइंटमेंट लेकर पूछा कि उसके पापा को चलने-फिरने के लिए किस तरह की एक्सर्साइज की जरूरत है? फिजियो ने उसके पिता का हाथ अपने कंधों पर रखवाकर उन्हें चलाकर दिखा दिया। यह भी कहा कि इन्हें चलने में दर्द बहुत होगा, शुरू में तो चला भी नहीं जाएगा, लेकिन लगातार यह अभ्यास करके वह 6 महीने में चलने लायक हो सकते हैं।

अगले दिन से लड़के ने सुबह जल्दी उठकर कॉलेज जाने से पहले अपने पिता को उसी तरह चलाना शुरू कर दिया, जैसे फिजियो ने बताया था। रोज सुबह उसकी मशक्कत और उसके पिता की तकलीफ को देखकर मॉर्निंग वॉक करने वाले ठिठक जाते। कई बार तो ऐसा होता कि उसके पिता को एक कदम उठाकर दो-तीन इंच आगे रखने में 10 मिनट लग जाते। कभी उनका पैर उठ ही नहीं पाता। लड़के ने हार नहीं मानी। पिता को रोज आधा घंटे अभ्यास कराने के बाद ही वह कॉलेज जाता। एक महीने के बाद उसके पिता आधे घंटे में 25-30 कदम चलने लायक हो गए। छह महीने बाद वह धीरे-धीरे चलने लगे। इस बीच लड़के ने बीकॉम पास कर लिया। वह अब भी सुबह उन्हें चलवाता, दोपहर को सीए की पढ़ाई करता और शाम को ऑटो भी चलाता रहा। आखिरकार एक साल की मेहनत के बाद उसके पिता एकदम ठीक हो गए। आज जब वह डेढ़ साल के बाद ऑटो लेकर निकले तो उनके पड़ोसियों की भीड़ जमा हो गई। सभी कह रहे थे कि आपका बेटा तो सीए बनने से पहले डॉक्टर बन गया।

(साई फीचर्स)