ओपीडी से गायब रहते हैं चिकित्सक!

 

 

जिलाधिकारी के निरीक्षण के बाद भी नहीं सुधर रहे अस्पताल के हालात!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। जिला प्रशासन के द्वारा जिला चिकित्सालय को साफ सुथरा और सुंदर बनाने की दिशा में कवायद की जा रही है किन्तु अस्पताल में मरीजों को चिकित्सकों, पेरामेडिकल स्टॉफ, दवाओं, वार्ड ब्वाय आदि की जरूरतों की ओर प्रशासन के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे मरीज हलाकान ही नजर आ रहे हैं।

ज्ञातव्य है कि जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के नेतृत्व में जिला अस्पताल के कायाकल्प के लिए अस्पताल मित्र योजना का आगाज किया गया है। इस योजना का श्रीगणेश मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति के द्वारा किया गया था। इसके तहत अस्पताल की सुदृढ़ इमारत में रंगरोगन आदि का काम कराया जा रहा है।

प्रियदर्शनी के नाम से सुशोभित जिला चिकित्सालय के भवन, वार्डों, बरामदे की दशा सुधारने में लाखों रुपए इन दिनों खर्च किए जा रहे हैं, प्रशासन का पूरा ध्यान भवन के कायाकल्प पर है लेकिन ब्हाय रोगी विभाग (ओपीडी) में डॉक्टरों की गैरमौजूदगी से मरीजों का समय पर न तो उपचार हो पा रहा है और न ही यहां की दशा में कोई सुधार होता नजर आ रहा है।

मरीजों के अनुसार चिकित्सकों को ओपीडी में बैठने के लिए सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक का समय निर्धारित किया गया है, इसके बाद भी दिन में अनेक बार अस्पताल की ओपीडी में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं रहता है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद भी चिकित्सक पुराने ढर्रे पर ही चलते दिख रहे हैं।

हर नियम की उड़ती हैं धज्जियां : ओपीडी में सुबह के समय में भी डॉक्टरों की कमी बनी रहती है वहीं लंच के बाद तो यहां की स्थिति और भी बिगड़ जाती है। मरीजों की संख्या अधिक होने और के बावजूद ओपीडी में एक-दो डॉक्टर ही अक्सर पाए जाते हैं। इसके साथ ही अधिक से अधिक मरीजों की जांच के भी आदेश आए हैं लेकिन यहां ओपीडी की दशा में कोई सुधार नहीं हो रहा है।

मरीज देखें या निर्माण कार्य! : वहीं चिकित्सकों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार अस्पताल प्रशासन के द्वारा अस्पताल मित्र योजना और कायाकल्प के तहत अस्पताल में जो काम कराए जा रहे हैं उसके लिए विभिन्न समितियां बनाई गई हैं। इसमें चिकित्सकों का समावेश किया गया है।

चिकित्सकों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार चिकित्सकों का मूल काम मरीज देखने का है पर चिकित्सक अपने मूल काम को छोड़कर अब अधीक्षण (सुपरविजन) के काम में लगे हुए हैं। चर्चाओं के अनुसार वे मरीज देखें या अस्पताल में होने वाले दीगर कामों का अधीक्षण करें।

यह काम है एडमिनिस्ट्रेटर का : चर्चाओं के अनुसार अस्पताल में हो रहे कामों के अधीक्षण का काम प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा एडमिनिस्ट्रेटर का है। पूर्व में अस्पताल में सेना से सेवा निवृत कर्नल अवस्थी का एडमिनिस्ट्रेटर बनाया गया था और उन्हें हर माह भारी पारिश्रमिक भी दिया जाता था, किन्तु उनकी सेवाओं को समाप्त करने के बाद यह जवाबदेही अब चिकित्सकों पर थोप दी गई है।