सिंचाई विभाग के अफसरों की लापरवाही से भर रहा लगाातर पानी

शिविरों में करीब पांच सौ कल्पवासियों का हुआ पूजन खंडन

(एल.एन.सिंह)
प्रयागराज (साई)। गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कानपुर बैराज से आज गुरुवार को फिर 24 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे पहले वहां से 20 से 22 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। वह पानी प्रयागराज पहुंचकर मेला क्षेत्र के लोगों को परेशानी में डाल दिया है। माघ मेला में गंगा किनारे बसी संस्थाओं के शिविरों में पानी घुस गया है।

कल्‍पवासी शिविरों में हड़कंप मच गया है। लोग अपने सामानाें को लेकर इधर-उधर सुरक्षित स्‍थानों पर शरण ले रहे हैं। सिंचाई विभाग के अफसरों की लापरवाही से पानी लगाातर शिविरों में भर रहा है। उनकी लापरवाही के चलते कल्पवासी जप तप करने के बजाय अपना सामान समेटने में लगे हैं।

गंगा का जलस्तर बढ़ने के चलते मेला की बसावट गड़बड़ा गई है। कल्पवासी परेशान हैं, एक तो सर्दी और कोरोना का कहर, उस पर अब गंगा की बाढ़ ने संंकट और बढ़ा दिया है। त्रिवेणी और कालीमार्ग पर झूंसी की तरफ गंगा किनारे अधिकतर तीर्थ पुरोहितों के शिविर लगाए गए है। इसमें तमाम कल्पवासी बसे थे।

अब उनको सेक्टर पांच में शिफ्ट किया जा रहा है। अब तक करीब पांच सौ कल्पवासियों को सेक्टर दो और तीन से सेक्टर पांच में शिफ्ट किया गया है। यह क्रम अभी जारी है। आने वाले दिनों में गंगा का जलस्तर और बढ़ सकता है। इसलिए नदी के किनारे की अन्य संस्थाओं को भी वहां से हटाया जा रहा है। पानी बढ़ने से जल पुलिस की भी सक्रियता बढ़ा दी गई है। स्नान घाट पर लगातार जल पुलिस की टीम निगरानी कर रही है।

माघ मेला में शिविरों को गंगा के बढ़ते पानी से बचाने के लिए बालू के छोटे-छोटे बांध बनाए जा रहे हैं। सिंचाई विभाग त्रिवेणी, काली व अन्य घाटों पर बालू के बांध बना रहा है। बालू के साथ बल्लियां लगाई जा रही हैं ताकि पानी के दबाव से बालू न बहे। तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि मेला प्रशासन वीआईपी शिविरों को बचाने का ही इंतजाम कर रहा है। जिस क्षेत्र में कल्पवासी बसे हैं, वहां ऐसी व्यवस्था नहीं हो रही है। इसी वजह से सबसे अधिक परेशानी कल्पवासियों के शिविरों में हो रही है।

गंगा का पानी घुसने से सिर्फ कल्पवासी शिविर छोड़ रहे हैं। प्रयाग धर्म संघ के अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि कानपुर बैराज से निरंतर सामान्य से दोगुना अधिक पानी छोड़ा जा रहा है। बैराज से गंगा में डिस्चार्ज कम करने के लिए प्रशासन को उच्चाधिकारियों से बात करनी चाहिए।