हार कर भी जीत जाएंगे शशि थरूर!

शालीनता से चुनाव प्रचार का पारितोषक मिल सकता है शशि थरूर को, बन सकते हैं लोकसभा में कांग्रेस के नेता!
(लिमटी खरे)
एक दशक से हाशिए में चल रही कांग्रेस पार्टी अब बहुत ही नपे तुले कदमों से आगे बढ़ती दिख रही है। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के बाद जब 2004 में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे तब भाजपा को दस सालों तक हाशिए में रहना पड़ा था। उसके बाद कांग्रेस के कदमताल देखकर लग रहा था मानो कांग्रेस का वजूद ही समाप्त करने पर कांग्रेस के आला नेता अमादा हों।
इस साल की दूसरी छःमाही में कांग्रेस को जिस तरह से समर्थन मिल रहा है उससे कांग्रेस के आला नेता गदगद जरूर नजर आ रहे होंगे। अव्वल तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को जिस तरह का समर्थन मिल रहा है उसकी उम्मीद शायद कांग्रेस के नेताओं को भी नहीं रही होगी। सियासी जानकारों का मानना है कि कमजोर विपक्ष के कारण ही भाजपा को लगातार विजय मिलती जा रही थी।
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मल्लिाकर्जुन खड़गे की ताजपोशी लगभग तय ही है। उनके प्रतिद्वंदी शशि थरूर को पार्टी कोई न कोई सांत्वना पुरूस्कार से जरूर नवाजेगी, क्योंकि शशि थरूर के द्वारा बहुत ही गरिमापूर्ण तरीके से चुनाव प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।
कांग्रेस के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो शशि थरूर के इस शांत रवैए से कांग्रेस आलाकमान भी बहुत ही प्रभावित दिख रहीं हैं। आने वाले समय में उन्हें किस पद से नवाजा जाए इस बात पर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। शशि थरूर धीर गंभीर व्यक्तित्व के स्वामी तो हैं ही साथ ही वे सभी दलों के नेताओं के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए भी जाने जाते हैं।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को इस बात के संकेत भी दिए हैं कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पर उदयपुर चिंतन शिविर के बाद एक व्यक्ति एक पद के तहत त्यागपत्र देने का दबाव बना हुआ है।
अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं और वे अपना काफी समय अपने सूबे में बिता रहे हैं। इसके अलावा हाल ही में महामहिम राष्ट्रपति पर की गई टिप्पणी के बाद लोकसभा में खड़े हुए बखेड़े को समेटने के लिए सोनिया गांधी को खुद पहल करना पड़ा था। कांग्रेस के अनेक नेताओं का दबाव है कि अधीर रंजन चौधरी को अपने पद से त्यागपत्र दे ही देना चाहिए।
अधीर रंजन चौधरी के विकल्प के बतौर शशि थरूर का नाम सियासी फिजा में तेजी से चल रहा है। शशि थरूर वैसे भी कुशल वक्ता, कुछ मामलों को अगर छोड़ दिया जाए तो विवादों से दूर रहने वाले, हिन्दी के बजाए अंग्रेजी में पारंगत होने के कारण वे सदन में नेता के पद पर मनोनीत किए जा सकते हैं!
(साई फीचर्स)