रेलगाड़ी के हार्न से परेशानी की याचिका ग्रीन ट्रिब्यूनल ने की खारिज

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। ट्रेन में हॉर्न बजाने पर रोक लगाने के लिए एक याचिका नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर की गई।

याचिका में कहा गया कि ट्रेन में हॉर्न के प्रयोग से ध्वनि प्रदूषण होता है और यह ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 का उल्लंघन है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल प्रिंसिपल बेंच ने ट्रेनों में हॉर्न के इस्तेमाल वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अजमेर की कुछ कॉलोनियों मे रहने वाले लोगों की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। आवेदकों की ओर से दावा किया कि वो इससे पीड़ित हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल (अध्यक्ष), न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी, डॉ. ए. सेंथिल वेल और अफरोज अहमद की पीठ ( विशेषज्ञ सदस्यों) ने कहा कि शोर मुक्त वातावरण जरूरी है लेकिन दूसरे विकल्प के अभाव में आवश्यक गतिविधियां भी संचालित की जानी है। ऐसे में इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।

 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मामले पर विचार करने के बाद कहा कि रेलवे की ओर से बड़ी संख्या में ट्रेनों का परिचालन किया जाता है। देश की एक बड़ी आबादी इस पर निर्भर है। इतने बड़ी संख्या में ट्रेनों के संचालन के दौरान शोर न हो ऐसा भी नहीं हो सकता है।

 

एनजीटी की ओर से इस पूरे मामले में कहा गया कि शोर मुक्त वातावरण आवश्यक है और किसी अन्य विकल्प के अभाव में आवश्यक गतिविधियां संचालित की जानी हैं। ऐसे में इस याचिका को खारिज किया जाता है।